रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत-चीन सीमा विवाद को लेकर आज दिया लोकसभा में बयान

भारत-चीन सीमा विवाद को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज लोकसभा में बयान दिया. उन्होंने कहा कि सीमा विवाद एक गंभीर मुद्दा है. दोनों देश शांति पर सहमत हैं. शांतिपूर्ण बातचीत से ही हल निकलेगा. राजनाथ सिंह ने कहा कि चीन ने कई बार स्टेटस बदलने का प्रयास किया, हमारे जवानों ने इसे असफल कर दिया. गलवान घाटी में हुए संघर्ष में चीन को काफी नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि हमारे जवानों का जोश और हौसला बुलंद है. प्रधानमंत्री जी के जवानों के बीच जाने के बाद यह संदेश गया है कि पूरा देश उनके साथ खड़ा है. मैं सदन को यह भी स्पष्ट करना चाहता हूं कि हम किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं.

राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारे सुरक्षाबल हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं. हम उनके साथ मजबूती से खड़े हैं. दोनों देशों को यथास्थिति बनाए रखना चाहिए और शांति और सद्भाव सुनिश्चित करना चाहिए. चीन भी यही कहता है लेकिन तभी 29-30 अगस्त की रात्रि में फिर से चीन ने पैंगोंग में घुसने की कोशिश की लेकिन हमारे सैनिकों ने प्रयास विफल कर दिए. चीन की ये कोशिश हमें मंजूर नहीं है. दोनों देशों को LAC का सम्मान करना चाहिए.

अप्रैल माह से लद्दाख की सीमा पर चीन के सैनिकों और हथियारों में वृद्धि देखी गई. चीन की सेना ने हमारी पट्रोलिंग में बाधा उत्पन्न की जिसकी वजह से यह स्थित बनी. राजनाथ सिंह ने बताया, ”चीन ने एलएसी और आंतरिक क्षेत्रों में बड़ी संख्या में सेना की तैनाती की है और हथियार इकट्ठा किए हैं. पूर्वी लद्दाख, गोगरा, कोंगका ला, पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण बैंकों में कई फ्रिक्शन प्वाइंट हैं. भारतीय सेना ने भी इन क्षेत्रों में भारी तैनाती की है.” सिंह ने कहा कि हमारे जवानों का हौसला बुलंद है, इसमें किसी को शक नहीं होना चाहिए. हमारे बहादुर जवानों ने चीनी सेना को भारी क्षति पहुंचाई है और सीमा की भी सुरक्षा की. हमारे जवानों ने जहां शौर्य की जरूरत थी शौर्य दिखाया और जहां शांति की जरूरत थी शांति रखी.

रक्षा मंत्री ने कहा कि यह सदन अवगत है चाईना, भारत की लगभग 38,000 स्क्वायर किलोमीटर भूमि का अनधिकृत कब्जा लद्दाख में किए हुए है. इसके अलावा, 1963 में एक तथाकथित बाउंडरी एग्रीमेंट के तहत, पाकिस्तान ने PoK की 5180 स्क्वायर किलोमीटर भारतीय जमीन अवैध रूप से चाईना को सौंप दी है. उन्होंने कहा कि यह भी बताना चाहता हूं कि अभी तक भारत-चीन के बॉर्डर इलाके में कॉमनली डेलीनिएटिड LAC नहीं है और LAC को लेकर दोनों की धारणा अलग-अलग है.

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