वशिष्ठ नारायण सिंह, जिनके संदर्भ में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने भी संदेश प्रेषित किया था, भारत की महान विभूतियों में एक रहे है। गणित के क्षेत्र में उनकी महान उपलब्धि रही है। इसके मद्देनजर बिहार में एक शैक्षणिक शोध संस्थान की स्थापना होनी चाहिए। वशिष्ठ नारायण सिंह के कृतित्व व व्यक्तित्व को रेखांकित करते हुए शून्यकाल के दौरान महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का मामला लोकसभा में उठाते हुए सारण सांसद सह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री राजीव प्रताप रुडी ने उक्त बाते कही। इस विषय पर केंद्रीय मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल, बिहार से सांद श्री कौशलेन्द्र समेत कई सांसदों के साथ उड़िसा के सांसद श्री भर्तुहरी महताब ने भी इसका समर्थन किया। श्री रुडी ने कहा कि वो भोजपुरी भाषी थे इसलिए यह संस्थान बिहार के भोजपुर (आरा) में स्थापित किया जा सकता है। उन्होंने सदन को बताया कि जब अमेरिका में मून मिशन के दौरान अपोलो अंतरिक्षयान लांच किया जा रहा था तब लांचिंग के कुछ क्षण बाद ही अचानक कम्प्यूटर बंद हो गये तब सभी वैज्ञानिक चिंतन में डूब गये. उस समय डॉ सिंह ने एक गणितीय आंकड़ा पेश किया. कम्प्यूटर जब ठीक हुआ तो उससे अपोलो के पहुंचने के संदर्भ में निकला आंकड़ा और डा सिंह के कैलुकुलेशन से निकला आंकड़ा एक जैसा था. उन्होंने आगे कहा कि वशिष्ठ नारायण सिंह जीवन भर पढ़ते और लिखते रहे। विशेषकर वे क्या लिख रहे थे इस पर शोध की आवश्यकता है। उनके द्वारा लिखित सूत्र और शोध दस्तावेज को प्रकाशित करने की भी आवश्यकता है। ‘‘डाक्टर वशिष्ठ नारायण सिंह शोध संस्थान’’ की स्थापना की जानी चाहिए और उनकी पढ़ी हुई पुस्तकों को भी संरक्षित की जानी चाहिए ताकि हमारी वर्तमान और भावी पीढ़ी उसका लाभ उठा सके।
श्री रुडी ने सदन से बाहर आकर पत्रकारों से बात करते हुए आगे कहा कि यह भोजपुरी भाषी ही नहीं पूरे भारतवासियों के लिए गौरव की बात है कि उन्होंने आर्किमिडिज के सापेक्षता के सिद्धांत को भी चैलेंज किया था। इसी तरह उन्होंने बताया कि रामायण व अन्य भारतीय ग्रंथ में गणित के कई सूत्र छिपे है जो उद्घाटित हो तो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा और उसके संस्कृति में छिपे ज्ञान के भंडार से वर्तमान पीढ़ी लाभान्वित हो पायेगी। शून्यकाल के दौरान श्री रुडी ने सदन को बताया कि श्री रुडी ने सदन के बाहर पत्रकारों को बताया कि स्टीफन हॉकिन्स से लेकर आइंस्टीन को चुनौती देने वाले शख्सियत के रूप में रेखांकित महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह जी ने यह साबित किया कि भारतीय ग्रंथ में अथाह ज्ञान है। वे सदैव कहा करते थे कि पूरा रामायण गणित के सूत्र पर आधारित है। इस प्रकार वशिष्ठ नारायण सिंह जी ने प्रतिपादित किया कि रामायण में और भी गणित के सूत्र है और विज्ञान और ब्रह्मांड के रहस्य छिपे हुए है। लेकिन सिलसिलेवार वो उजागर करते इसके पहले ही या तो इस रोग ने आघात कर दिया।