नालंदा:- 18 सितंबर से 16 अक्टूबर तक मलमास माह है. इस माह के पहले दिन अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल राजगीर के कुंड परिसर में वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच ध्वजारोहण किया गया. कोविड महामारी को लेकर इस वर्ष मलमास मेला को रद्द कर दिया गया है. जबकि जिला प्रशासन द्वारा पूजा की अनुमति दी गई है. ऐसी मान्यता है कि मलमास माह में एक महीनों तक 33 करोड़ के देवी देवता यहां प्रवास करते है. इधर मलमास पूजा को लेकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए है.
कोरोना संक्रमण के कारण वैदिक मंत्रोचार व ध्वजारोहण के समय में कटौती की गई और कम समय में पूजा अर्चना कर कुंड परिसर को खाली कराने का आदेश दिया गया है. मलमास पूजा में भाग लेने के लिए कई अखाड़ा के साधु संत भी भाग लेने राजगीर पहुंच रहे है. साधु संतो ने बताया कि कोरोना संक्रमण के कारण हमलोग पहली बार ध्वजारोहण कर बिना कुंड व वैतरणी धाम स्नान किए लौटना पड़ रहा है. मलमास माह में यहां एक माह तक मेले का आयोजन होता था. जहां मनोरंजन के लिए कई तरह के खेल तमाशे और झूला लगाए जाते थे. इस दौरान दूर दराज़ इलाके, नेपाल श्रीलंका व अन्य देशों के श्रद्धालु यहां गर्म कुंड के झरने में स्नान करते थे. जो इस बार पूरी तरह से फ़ीका पड़ चुका है…
नालंदा में अठारह सितंबर से सोलह अक्टूबर तक मलमास माह है. इस माह के पहले दिन अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल राजगीर के कुंड परिसर में वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच ध्वजारोहण किया गया. कोविड महामारी को लेकर इस वर्ष मलमास मेला को रद्द कर दिया गया है. जबकि जिला प्रशासन द्वारा पूजा की अनुमति दी गई है. ऐसी मान्यता है कि मलमास माह में एक महीनों तक तैंतीस करोड़ के देवी देवता यहां प्रवास करते है. इधर मलमास पूजा को लेकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए है.
नालंदा से महमूद आलम की रिपोर्ट