नई दिल्ली : राजस्थान का सियासी ड्रामा अभी ठहरने का नाम नहीं ले रहा है. राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और बागी नेता सचिन पायलट के बीच जारी जंग अब कोर्ट से निकलकर राजनीतिक मैदान में पहुंच गई है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राज्यपाल कलराज मिश्र अपने-अपने स्टैंड पर डटे हुए हैं. मुख्यमंत्री चाहते हैं कि विधानसभा सत्र सोमवार को बुलाया जाए ताकि वो अपना शक्ति प्रदर्शन कर पाएं, वहीं राज्यपाल की दलील है कि उन्हें किसी फैसले पर पहुंचने के लिए थोड़ा वक्त चाहिए.
राजस्थान के सीएम गहलोत जल्द से जल्द इसलिए बहुमत साबित करना चाहते हैं कि सरकार को अगले 6 महीने तक कोई खतरा नहीं रहे, क्योंकि अभी भी उन्हें उम्मीद है कि कई बागी विधायक उनके साथ हैं. लेकिन इसमें जितना वक्त लगेगा गहलोत सरकार पर खतरा बढ़ता जाएगा क्योंकि अगर 1 भी विधायक इधर से उधर हुआ तो सरकार जाने का डर है. दूसरी ओर ऐसा ही कुछ खतरा सचिन पायलट भी महसूस कर रहे होंगे क्योंकि हो सकता है जो विधायक बागावत का रुख अपना रहे हों इसमें कोई फायदा न होता देख वापस लौट जाएं क्योंकि जो परिस्थितियां बन रही हैं उससे राज्य में नई सरकार बनना उतना भी आसान नहीं है.
अशोक गहलोत सरकार के समर्थक कांग्रेस विधायक शुक्रवार की अपराह्र राजभवन पहुंचे. जयपुर के बाहरी क्षेत्र में स्थित एक होटल से ये विधायक बसों से अपराह्र लगभग ढाई बजे राजभवन पहुंचे. ये विधायक विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल कलराज मिश्र से सामूहिक आग्रह करने पहुंचे हैं.
सीएम अशोक गहलोत की ओर से दो बार विधायकों की बैठक बुलाई गई, लेकिन सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायक उसमें शामिल नहीं हुए। इसके बाद कांग्रेस ने सचिन पायलट को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद और उप मुख्यमंत्री पद से बर्खास्त कर दिया। इसके बाद सभी पायलट समर्थक विधायकों को बागी घोषित कर दिया, जिसके बाद स्पीकर सीपी जोशी ने इन विधायकों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है। इसके बाद सचिन पायलट गुट हाई कोर्ट पहुंच गए।