ब्रज बिहारी / बिहार पत्रिका
भारत हमेशा से ही रचनाकारों का घर रहा है। यहाँ के लेखक कलाकार, कवि/कवयित्री आदि लोगों ने ही तो यहाँ की संस्कृति और इतिहास को आजतक अपनी रचनाओं द्वारा जीवित रखा है। कविता की बात होती है तो हमारे जेहन में रविंद्रनाथ टैगोर, सुमित्रानंदन पंत, नागार्जुन जैसे कवियों के नाम आ जाते हैं, लेकिन भारत के खजाने में कई काबिल और महान कवयित्री भी रही हैं जिनकी कविताओं ने पाठकों के दिल में अपनी जगह बनाई है। इनमे से एक नाम है कवयित्री पूनम रानी “पुन्नू” का। इनकी कविताओं में पाठकों को अपने जीवन का हर पहलू नजर आता है।
मुजफ्फ़रपुर में हुआ इस नन्ही कवियत्री का जन्म
पूनम रानी का जन्म 17 अप्रैल 1955 को मुजफ्फरपुर में हुआ। उसी दिन इस धरती पर एक नन्ही कवयित्री का जन्म हुआ। बचपन से ही उन्हें कविता लिखने का शौक रहा। प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्होंने समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर किया। इसके बाद इनकी नौकरी राष्ट्रीय समाज रक्षा संस्थान, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, नई दिल्ली में हो गई।
सरकारी सेवा के बावजूद कविता का शौक कम नहीं हुआ
सरकारी सेवा के बाबजूद पूनम रानी के कविता लिखने का शौक कम नहीं हुआ। कार्य में व्यस्तता के बावजूद देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर इनकी रचनाओं का प्रकाशन होता रहा। वर्तमान में उनकी नई काव्य संग्रह “अभिव्यक्ति” बाजार में आ चुकी है। “अभिव्यक्ति” में प्रस्तुत कविताओं में आपको कविता की भावभूमि स्वतः ही बता देगी कि उन पर झूठ का आवरण नहीं पहनाया गया। वह वैसा ही है जैसा कवयित्री ने सोचा महसूस किया एवम परखा हो। भले ही यदा-कदा उनके व्यक्तिगत अनुभव भी हो, किन्तु प्रत्येक कविता का भावपक्ष पाठकों में एक आकर्षण एवम नवीन संचार जागृत करता है। इनकी कविताओं का सम्बन्ध मुख्यतः नारी जीवन की समस्याओं, अधिकारों, बालश्रम एवम समाज में व्याप्त विसंगतियों के प्रति उनकी भावना को उनकी कविता के द्वारा महसूस किया जा सकता है।
कविता का आधुनिकीकरण, काव्य के भविष्य के लिए अच्छा संकेत नहीं
आज कविता का जिस प्रकार आधुनिकीकरण हो रहा है, वह काव्य के भविष्य के लिए अच्छा संकेत नहीं है या ऐसा कह सकते हैं कि मंचों ने अनेकानेक श्रेष्ठ कवि/कवयित्री को पाठकों, श्रोताओं से दूर कर दिया है, लेकिन कुछ कवि/कवयित्री ऐसे भी हैं जो मंचों पर ही नहीं बल्कि पत्र-पत्रिकाओं व पुस्तकों के माध्यम से अपनी सफल छाप अपने काव्य प्रेमियों के हृदय पर अंकित कर ही जाते हैं।
“अभिव्यक्ति” के माध्यम से झूठ का आवरण नहीं पहनाया
वर्तमान परिस्थितियों में काव्य के ठोस धरातल पर सच कहना, अपने जमीर को सुरक्षित रखना, नैतिक मूल्यों के प्रति सचेत रहना तथा आत्मसम्मान व स्वाभिमान को बचाए रखना बहुत मुश्किल होता जा रहा है। ऐसे में अपने काव्य संग्रह “अभिव्यक्ति”के माध्यम से पूनम रानी “पुन्नू”ने अपनी कविता पर झूठ का आवरण नहीं पहनाया है।
साहित्य में उत्कृष्ठ योगदान के लिए पूनम रानी”पुन्नू” को अनेक राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा विभिन्न सम्मान, पुरस्कार एवम सम्मानोपाधियां से नवाजा जा चुका है।