इसराइल और खाड़ी देश बहरीन अपने संबंधों को पूरी तरह से सामान्य बनाने के लिए एक ऐतिहासिक समझौते करने पर सहमत हुए हैं. इस बात की घोषणा अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने की.
राष्ट्रपति ट्रंप ने ट्वीट किया, “30 दिनों के अंदर इसराइल के साथ शांति समझौता करने वाला दूसरा अरब देश.”
Another HISTORIC breakthrough today! Our two GREAT friends Israel and the Kingdom of Bahrain agree to a Peace Deal – the second Arab country to make peace with Israel in 30 days!
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) September 11, 2020
दशकों से ज़्यादातर अरब देश ये कहते हुए इसराइल का बहिष्कार करते रहे हैं कि वो फ़लीस्तीनी विवाद के निपटारे के बाद ही इसराइल से संबंध स्थापित करेंगे.
लेकिन पिछले महीने संयुक्त अरब अमीरात यानी यूएई भी इसराइल के साथ अपने रिश्ते सामान्य करने पर सहमत हुआ था.
तभी से ये अटकलें लगाई जा रही थीं कि बहरीन भी ऐसा ही कर सकता है.
इसराइल-फ़लस्तीनी संघर्ष को हल करने के मक़सद से जनवरी में अपनी मध्य पूर्व शांति योजना पेश करने वाले राष्ट्रपति ट्रंप ने दोनों समझौते कराने में मदद की.
इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने कहा कि वो “उत्साहित” हैं कि शुक्रवार को एक अन्य अरब देश के साथ “एक और शांति समझौता” हुआ है.
उन्होंने कहा, “ये शांति का एक नया युग है. शांति के लिए शांति. अर्थव्यवस्था के लिए अर्थव्यवस्था. हमने कई साल तक शांति के लिए कोशिशें कीं. अब शांति हमारे लिए कोशिशें करेंगी.”
दोनों देशों और ट्रंप ने क्या कहा?
विदेश मामलों की बीबीसी संवाददाता बारबरा प्लेट कहती हैं कि राष्ट्रपति ट्रंप और उनके दामाद जैरेड कशनर के लिए ये कूटनीतिक उपलब्धि है, जिन्होंने बहरीन और यूएई के साथ समझौते में मदद की.
मध्य-पूर्व के हालिया दौरे से लौटने के बाद कशनर ने पत्रकारों से कहा कि ट्रंप प्रशासन ने पूरे इलाक़े में “एक सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार” किया है जो “बहुत ही बढ़िया है.”
व्हाइट हाउस की ओर से जारी बिंदुओं से संकेत मिलते हैं कि ट्रंप इन अंतरराष्ट्रीय समझौतों की उपलब्धियों को अपने चुनाव अभियान में इस्तेमाल करेंगे.
वो ख़ुद को मध्य पूर्व की शांति और समृद्धि के लिए अगुआ के तौर पर पेश करेंगे क्योंकि और भी अरब और मुस्लिम देश इसराइल के साथ रिश्ते सामान्य करने के लिए आगे आ सकते हैं.
इससे वो “सदी के सौदे” यानी इसराइल-फ़लस्तीन शांति समझौते से सबका ध्यान हटा सकेंगे, जिसे वो हासिल करने में नाकाम रहे हैं.
उस प्रोजेक्ट की बड़े पैमाने पर आलोचना की गई थी क्योंकि उसे ज़्यादा इसराइल के पक्ष में बताया जा रहा था और फ़लस्तीनियों ने उसे ख़ारिज कर दिया था.
यूएई ने इस क़दम का स्वागत किया है. विदेश मंत्रालय ने कहा, “एक और महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक उपलब्धि जो क्षेत्र की स्थिरता और समृद्धि में बहुत बड़ा योगदान देगी.”
हालांकि फ़लस्तीनी अधिकारियों ने नाराज़गी जताई है. फ़लस्तीन के विदेश मंत्रालय ने बहरीन के अपने राजदूत को सलाह-मशविरे के लिए बुलाया है और फ़लस्तीनी नेतृत्व ने एक बयान में कहा है कि इससे फ़लस्तीनियों के अधिकारों और अरब की ओर से उठाए गए संयुक्त क़दमों को नुक़सान पहुंचेगा.
बहरीन मध्य-पूर्व का वो महज़ चौथा अरब देश बन गया है जिसने 1948 में इसराइल की स्थापना के बाद से उसे मान्यता दी है. इनके अलावा दो अन्य देश मिस्र और जॉर्डन हैं.
राष्ट्रपति ट्रंप ने लिखा, “आज एक और ऐतिहासिक सफलता!”
साथ ही उन्होंने लिखा, “हमारे दो महान दोस्त इसराइल और बहरीन एक शांति समझौते को लेकर सहमत हो गए हैं.”
राष्ट्रपति ट्रंप ने ट्विटर पर अमरीका, बहरीन और इसराइल के संयुक्त बयान की कॉपी भी साझा की.
बयान में लिखा है, “मध्य-पूर्व में शांति स्थापित करने के लिए ये एक ऐतिहासिक सफलता है, जिससे क्षेत्र में स्थिरता, सुरक्षा और समृद्धि बढ़ेगी.”
Joint Statement of the United States, the Kingdom of Bahrain, and the State of Israel pic.twitter.com/xMquRkGtpM
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) September 11, 2020
अगस्त में यूएई की घोषणा से पहले, इसराइल का खाड़ी के अरब देशों के साथ कोई राजनयिक संबंध नहीं था. लेकिन हाल में ईरान को लेकर साझा चिंताओं की वजह से उनके बीच अनौपचारिक संपर्क हुआ.
पिछले महीने इसराइल और यूएई के बीच पहली आधिकारिक उड़ान भरी गई, जिसे रिश्ते सामान्य करने के क्रम में एक बड़ा कदम माना गया.
विमान में सवार अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दामाद और उनके वरिष्ठ सलाहकार जैरेड कशनर ने कहा था कि “यूएई समझौते में मध्य पूर्व की पूरी दिशा बदलने की क्षमता है.”
बहरीन ने पिछले हफ़्ते कहा था कि वो इसराइल और यूएई के बीच की उड़ानों को अपना हवाई क्षेत्र इस्तेमाल करने की अनुमति देगा.
इसराइल और यूएई के समझौते पर अगले मंगलवार को औपचारिक तौर पर हस्ताक्षर होंगे. इस समारोह की मेज़बानी अमरीका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप वॉशिंगटन में करेंगे.
1999 में उत्तर-पश्चिम अफ्रीका में अरब लीग के एक सदस्य मौरीटानिया ने इसराइल के साथ राजनयिक संबध स्थापित किए थे, लेकिन 2010 में संबंधों को तोड़ दिया