लॉक डाउन की अवधि में कई जगहों पर घर-घर जाकर स्क्रीनिंग की जा रही है. इस स्क्रीनिंग के अतर्गत पटना में भी स्थानीय नगर निगम के कर्मचारियों के द्वारा घर-घर जाकर जाँच की जा रही है. यहाँ आपको हैरत में पड़ने की जरुरत नहीं है कि, आखिर नगर निगम के लोग जाँच कैसे करेंगे ? तो हम आपको बता दें कि, कर्मचारी जाँच नहीं महज खानापूर्ति करने आपके घर आ रहें हैं. पटना नगर निगम के द्वारा कराया जा रहा सर्वे कई सवाल खड़े कर रहा है.
सर्वे टीम में कोई मेडिकल स्टाफ नहीं
जाँच करने आये टीम के सदस्यों से जब पूछा गया कि आपमें से मेडिकल स्टाफ कौन है ? तो उन्होंने कहा कि हमारी टीम में मेडिकल स्टाफ नहीं हैं. हमे सिर्फ ये जानकारी लिखना है कि घर में कितने सदस्य हैं और उन्हें सर्दी, खांसी या बुखार है या नहीं या कोई सदस्य बाहर से आया है या नहीं.
इस प्रकार के सर्वे का क्या मतलब ?
गौरतलब है कि वर्तमान समय में केंद्र और राज्य सरकारें चिल्ला चिल्ला कर कह रही है कि, बाहर से आये लोग स्वयं आगे आकर जांच में सहयोग करें. लेकिन लोगों को प्रशासन के द्वारा खोज-खोज कर निकालना पड़ रहा है, बावजूद इसके हजारों लोग अभी भी छिपे हैं. अगर जानकारी सही-सही देने की हिम्मत रहती तो, सरकार की अपील के बाद बाहर से आये लोग स्वयं हीं जांच करने में सहयोग कर देते. ऐसे में इस प्रकार के सर्वे का क्या मतलब है ?
संक्रमण का अंदाजा भी भयावह
दुसरी सबसे महत्वपूर्ण बात कि निगम के कर्मचारियों द्वारा रजिस्टर और कलम का उपयोग किया जा रहा है, जो खतरे को बढ़ावा दे रहा है. वह कलम और रजिस्टर हजारों हांथों से होकर गुजर रहा है. यदि यह रजिस्टर कोई संक्रमित व्यक्ति संपर्क में आता है तो इससे होने वाले संक्रमण का अंदाजा लगाया जा सकता है.
जब टीम घूम हीं रही है तो क्या इन्हें ऐसा कोई कीट (जो उपलब्ध हो) नहीं देना चाहिए कि कम से कम संदिग्ध की भी जांच हो सके ? ये पूरी तरह से समय और कर्मियों का बेजा इस्तेमाल है. सभी टीम में एक मेडिकल स्टाफ रहते जो शुरूआती लक्षणों से संदिग्धों की जांच करते और कम से कम उन्हें सही सलाह देते.
मोबाइल एप्लीकेशन से सर्वे में खतरा कम होता
निगम को जितने दिनों में रजिस्टर तैयार करवाया उतने से कम दिनों में कुछ प्रोफेशनल टेक्निकल लोगों की टीम से एक मोबाइल एप्लीकेशन तैयार करवा सकता था. इस मोबाइल एप्लीकेशन से यदि सर्वे किया जाता तो वह सिर्फ सिंगल यूज़ होता और रजिस्टर और कलम की तरह हजारों लाखों हांथो से होकर नहीं गुजरता. यदि निगम सामाजिक दुरी की निति को बरकरार रखते हुए डिजिटल / ऑनलाइन सर्वे के माध्यम से इस काम को करवाते तो यह और प्रभावकारी साबित होता. इससे संक्रमण का खतरा भी बहुत कम होता.
सर्वे सदिग्ध
गौरतलब है कि अभी सरकार की सभी सर्वे की योजना ऑनलाइन और डिजिटल हो चुकी है. ऐसे में जब डिजिटल सर्वे की सबसे ज्यादा जरूरत है उस वक़्त कागज और कलम से सर्वे कराना खतरनाक साबित हो सकता है साथ हीं इससे न तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन होगा और न हीं सर्वे का कोई सही रिजल्ट आएगा.
जलजमाव, पेयजल, सरकारी जमीनों पर कब्ज़ा जैसे मामलों में हमेशा की तरह सफल रहने वाले पटना नगर निगम कोरोना महामारी में पहले भी पानी में दस ग्राम ब्लीचिंग पाउडर से पुरे शहर को सेनेटाईज करने की सफल योजना चला चूका है.