पीएम मोदी ने सोमवार को जलवायु परिवर्तन के संबंध में भारत की साहसिक और महत्वाकांक्षी पहल का उल्लेख करते हुए पांच अमृत तत्व (पंचामृत) के रूप में 5 उपायों की घोषणा की। सबसे महत्वपूर्ण घोषणा के रूप में पीएम मोदी ने कहा कि वर्ष 2070 तक भारत पूर्णतया अपना कार्बन उत्सर्जन शून्य कर देगा।
2030 तक भारत की कुल ऊर्जा खपत का 50% अक्षय ऊर्जा पर आधारित होगा
जलवायु परिवर्तन पर ग्लास्गो में आयोजित कॉप-26 विश्व सम्मेलन में पीएम मोदी ने भारत का राष्ट्रीय वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए कहा कि वर्ष 2030 तक भारत का गैर-कोयला आधारित विद्युत उत्पादन 500 गीगावॉट हो जाएगा। उस समय तक भारत की कुल ऊर्जा खपत का 50 प्रतिशत अक्षय ऊर्जा पर आधारित होगा।
विकासशील देशों को मिलनी चाहिए आर्थिक मदद
पीएम मोदी ने कहा कि वर्ष 2030 तक भारत का कार्बन उत्सर्जन एक अरब टन कम हो जाएगा। इसी तरह कार्बन इंटेंसिटी में 45 प्रतिशत की कमी आएगी। पीएम मोदी ने कहा कि कार्बन उत्सर्जन के संबंध में विकासशील देशों की ओर से किए जा रहे उपायों के एवज में उन्हें आर्थिक मदद दिए जाने का अंतरराष्ट्रीय वादा खोखला साबित हुआ है। उन्होंने कहा कि विकासशील देशों को अमीर देशों की ओर से 10 खरब डॉलर आर्थिक मदद दी जानी चाहिए।
भारत ही एकमात्र देश है जिसने पेरिस जलवायु सम्मेलन के वादों को पूरा किया
पीएम मोदी ने पर्यावरण और प्रकृति संरक्षण के बारे में वैदिक ऋचाओं का उल्लेख किया और कहा कि भारतीय संस्कृति में हमेशा अह्म से वयं का आदर्श प्रस्तुत किया है। भारतीय संस्कृति के इन्हीं मूल्यों से प्रेरित होते हुए भारत ने पर्यावरण संरक्षण के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों में भारत ही एकमात्र देश है जिसने पेरिस जलवायु सम्मेलन में किए गए वादों को शाब्दिक और भावनात्मक दोनों रूप पूरा किया है। इस संबंध में उन्होंने भारतीय रेलवे के कार्बन उत्सर्जन को वर्ष-2030 तक शून्य स्तर तक पहुंचाने के लक्ष्य का जिक्र किया।
अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मदद का लिया जाना चाहिए लेखा-जोखा
पीएम मोदी ने विकासशील देशों को उपायों के लिए दी जाने वाली धनराशि के संबंध में निगरानी की व्यवस्था बनाए जाने की बात भी की। उन्होंने कहा कि जिस तरह जलवायु परिवर्तन के रुझान के निगरानी होती है उसी तरह अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मदद का लेखा-जोखा लिया जाना चाहिए। इस संबंध में योगदान नहीं देने वाले देशों पर दबाव बनाया जाना चाहिए।
पर्यावरण संरक्षण के लिए एक विश्व आंदोलन का किया आह्वान
प्रधानमंत्री ने जलवायु परिवर्तन के संबंध में विकासशील देशों के दृष्टिकोण को सामने रखा। उन्होंने कहा कि विकासशील देशों की पीड़ा और समस्याओं को आवाज देना वह अपना कर्तव्य समझते हैं। पीएम मोदी ने पर्यावरण संरक्षण के लिए एक विश्व आंदोलन शुरू करने का आह्वान करते हुए पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली अपनाने का आग्रह किया। पीएम मोदी ने कहा कि मनमाने और विनाशकारी उपभोग की बजाय हमें ऐसी जीवनशैली अपनानी चाहिए जिसमें हम अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति सुविचारित रूप से करें।