पीएम मोदी कल 11 अक्टूबर 2022 को उज्जैन प्रवास पर रहेंगे। इस दौरान वे यहां 800 करोड़ से अधिक की लागत से बन रहे महाकाल लोक (पहले फेज) का लोकार्पण कर इसे श्रद्धालुओं को समर्पित करेंगे। पीएम मोदी के आगमन को लेकर व्यापक तैयारियां की जा रही हैं। पीएम मोदी मंगलवार को शाम 6 बजे के करीब महाकाल मंदिर पहुचेंगे और गर्भगृह से दर्शन कर ज्योतिर्लिंग भगवान महाकाल की पूजा-अर्चना करेंगे। इसके बाद वे 6.30 बजे महाकाल लोक का लोकार्पण करेंगे।
महाकाल लोक की क्या है खासियत ?
प्राचीन पुण्य सलिला मां क्षिप्रा के तट पर बसी प्राचीनतम नगरी उज्जैन का श्री महाकाल लोक भगवान शिव के भक्तों के स्वागत के लिए तैयार है। महाकाल मंदिर के नवनिर्मित कॉरिडोर को 108 स्तंभ पर बनाया गया है, 910 मीटर का ये पूरा महाकाल मंदिर इन स्तंभों पर टिका होगा। महाकवि कालिदास के महाकाव्य मेघदूत में महाकाल वन की परिकल्पना को जिस सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया था, सैकड़ों वर्षों के बाद उसे साकार रूप दे दिया गया है। दुनिया भर से उज्जैन आने वाले शिव भक्तों के लिए यह शिव महिमा का सम्पूर्ण अनुभव देने का अनूठा और अद्भुत प्रयास है।
उल्लेखनीय है कि भारत की विशिष्ट सांस्कृतिक विरासत को महाकाल लोक में जिस सुंदर ढंग से प्रदर्शित किया गया है वह अतुलनीय है। यहां शिव सर्वगत अचल आत्मा है, शिव की आराधना शक्ति की आराधना है। शिव अव्यक्त है, उनके सहस्त्रों रूप है। यहां शांति और निश्चिन्तता के साकार रूप ही शिव है। श्री महाकाल लोक सनातन संस्कृति की पौराणिकता, ऐतिहासिकता और गौरवशाली परम्परा का अद्भुत संगम और अद्वितीय नूतन रूप है। इसे जिस भव्यता और सुंदरता से प्रदर्शित किया गया है, वह चमत्कृत कर देता है।
एक साथ देखने को मिलेगी 6 राज्यों की सांस्कृतिक झलक
महाकाल लोक के लोकार्पण के दौरान अलग-अलग प्रदेशों की सांस्कृतिक झलक भी देखने को मिलेगी। इसके लिए मध्य प्रदेश, गुजरात, झारखंड, केरल सहित 6 राज्यों की टीम उज्जैन दो दिन पहले ही पहुंच चुकी है।
नंदी मंडपम में बैठकर पीएम मोदी लगाएंगे ध्यान
लोकार्पण कार्यक्रम के दौरान 200 संत भी मौजूद रहेंगे। इस दौरान वे संतों से मुलाकात भी करेंगे। बताया जाता है कि पीएम मोदी करीब 40 मिनट मंदिर में रहेंगे। इस दौरान वे गर्भगृह में पूजन तथा नंदी मंडपम में बैठकर ध्यान लगाएंगे। पीएम मोदी परिसर में भी जा सकते हैं। इसको लेकर तैयारी की जा रही है।
महाकाल लोक का अवलोकन भी करेंगे
इसके बाद पीएम महाकाल लोक का अवलोकन करेंगे। हालांकि, अभी तक के कार्यक्रम के अनुसार प्रधानमंत्री इलेक्ट्रिक व्हीकल से अवलोकन करने जाएंगे, लेकिन कुछ जगह सांस्कृतिक कार्यक्रम को देखने के लिए पीएम मोदी गाड़ी से उतरकर कुछ दूर पैदल चलकर भी जायजा ले सकते हैं। इस दौरान करीब 700 कलाकार महाकाल लोक में अलग-अलग स्थानों पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति देंगे।
कलाकार देंगे ये प्रस्तुति
पीएम मोदी के महाकाल अवलोकन के दौरान मध्य प्रदेश की मालवा संस्कृति का नृत्य, गुजरात का गरबा, झारखंड के ट्राइबल एरिया से आए कलाकार भस्मासुर, केरल के कलाकार कथक और आंध्र प्रदेश के कलाकार कुचिपुड़ी नृत्य की प्रस्तुति देंगे। सभी कलाकार उज्जैन पहुंच चुके हैं और अब प्रधानमंत्री के समक्ष प्रस्तुति देने के लिए अंतिम रिहर्सल कर रहे हैं। झारखंड के जनजातीय क्षेत्र से आए 12 कलाकार अपनी सांस्कृतिक परम्परा भस्मासुर की प्रस्तुति देंगे। भावेश कला केंद्र खरसावां से टीम दो दिन पहले उज्जैन पहुंच चुकी है। इसमें परमानंद, मछावा, सोनू लोहार, सुखराम, सोनिया, सुमि नमक कलाकार महाकाल लोक में अंतिम दौर की रिहर्सल कर रहे हैं।
मंदिर में की जा रही विशेष तैयारी
पीएम मोदी के आगमन को लेकर मंदिर में तैयारी अंतिम दौर में है। गर्भगृह में चांदी के दीवार की सफाई हो चुकी है। कोटितीर्थ कुंड तथा परिसर के मंदिरों में रंग रोगन किया गया है। मंदिर में आकर्षक लाइटिंग की जा रही है। मंदिर में पुष्प सज्जा का काम भी सोमवार से शुरू हो गया है। उज्जैन व इंदौर के पुष्प डेकोरेटर मंदिर में नयनाभिराम पुष्प सज्जा करने में जुटे हुए हैं। महाकाल दर्शन के समय केवल प्रधानमंत्री गर्भगृह में रहेंगे। शासकीय पुजारी पं. घनश्याम शर्मा तथा एक सहयोगी पुजारी पूजा अर्चना कराएंगे।
चप्पे-चप्पे पर रहेगी सुरक्षा व्यवस्था
पीएम मोदी के महाकाल दर्शन करने के दौरान चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा व्यवस्था रहेगी। प्रशासन ने शनिवार से ही मंदिर में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात कर दिया है। मंगलवार को सुरक्षा व्यवस्था और भी कड़ी हो जाएगी।
बढ़ेगी पर्यटन और रोजगार की संभावनाएं
श्री महाकाल लोक आधुनिक व्यवस्थाओं और संसाधनों से भी परिपूर्ण बनाया गया है। इसकी व्यवस्था इतनी उत्कृष्ट है कि भक्तों और पर्यटकों को अभिभूत कर देगी। मंदिरों के साथ ही पूजा सामग्री और हार-फूल की दुकानों को भी विशिष्ट तरीके से लाल पत्थर से बनाया गया है, जिन पर सुंदर नक्काशी की गई है। श्री महाकाल लोक के निर्माण से भगवान शिव की जिन कथाओं का महाभारत, वेदों तथा स्कंद पुराण के अवंती खंड में उल्लेख है, उनका जीवंत अनुभव शिव भक्त धर्मनगरी उज्जैन में कर पाएंगे। महाकाल ज्योतिर्लिंग एक मात्र ज्योतिर्लिंग है जो दक्षिणमुखी है। सनातन धर्म में महाकाल के दर्शन जीवन का एक महत्वपूर्ण और आवश्यक भाग माना जाता है, जिससे शांति मिलती है। इसलिए लाखों भक्त नित्य इस देव स्थान पर आते हैं। महाकाल लोक के जरिए शिव के सभी स्वरूप एक स्थान पर लाना मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार का ऐसा दुर्लभ कार्य है जिसकी और कोई मिसाल नहीं हो सकती।
पीएम मोदी भी हैं शिव भक्त
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में वर्ष 2016 में उज्जैन में ऐतिहासिक सिंहस्थ सम्पन्न हुआ था। व्यवस्थाओं और संसाधनों की दृष्टि से उसे भारत का अब तक का सबसे सफलतम धार्मिक आयोजन माना जाता रहा है। वे उज्जैन को धार्मिक पर्यटन नगरी के रूप में उभारने को लेकर प्रतिबद्ध रहे और इसी के दृष्टिगत सिंहस्थ के ठीक बाद वर्ष 2017 में श्री महाकाल लोक की योजना बनी। पीएम मोदी महाकाल लोक को कल श्रद्धालुओं को समर्पित करेंगे। करोड़ों भारतीयों का सौभाग्य है कि पीएम मोदी भी शिव भक्त हैं और उनके नेतृत्व में देशभर में आध्यात्मिक और धार्मिक स्थानों का निरंतर कायाकल्प हो रहा है। इस प्रकार प्रधानमंत्री की दूरदर्शिता तथा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कार्यकुशलता से ही श्री महाकाल लोक का सपना साकार हो सका है।
महाकाल दर्शन का क्या है धार्मिक महत्व ?
महाकाल दर्शन का बड़ा धार्मिक महत्व माना जाता है। दरअसल पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसे मोक्ष प्रदान करने वाला स्थल माना जाता है। वहीं स्कंदपुराण के अनुसार इसे मंगल ग्रह की उत्पत्ति का स्थान माना जाता है। उज्जैन का इतिहास अनादि काल से माना जाता है और राजनीतिक, आध्यात्मिक और साहित्यिक दृष्टि से भी इसे उत्कृष्ट स्थान माना जाता है। महज इतना ही नहीं, भारत की पौराणिक और धार्मिक महत्व की सात प्रसिद्ध पुरियों या नगरियों में उज्जैन प्रमुख स्थान रखता है। माना जाता है कि यहां साक्षात दैवीय शक्तियों का आज भी वास है। उज्जयिनी को विशाला, प्रतिकल्पा, कुमुदवती, स्वर्णश्रंगा और अमरावती के नाम से भी जाना जाता है और यहां स्थित महाकालेश्वर मंदिर भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। पुराणों, महाभारत और कालिदास जैसे महाकवियों की रचनाओं में इस मंदिर का मनोहर वर्णन मिलता है।
कैसे फायदेमंद साबित होते हैं महाकाल के दर्शन ?
- उज्जैन में महाकाल लोक के निर्माण का फायदा न केवल शिव भक्तों को मिलेगा बल्कि रोजगार और पर्यटन की दृष्टि से भी यह फलदायी होगा। महाकाल लोक में लाखों लोग एक साथ भ्रमण कर सकते हैं और रुकने की दृष्टि से भी इसे सर्व सुविधायुक्त बनाया गया है। अब शिव भक्त यहां महाकाल के दर्शन के लिए आएंगे भी और आराम से वे रुक भी सकेंगे। ऐसे में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। उज्जैन के पास मंदसौर का प्रसिद्ध पशुपतिनाथ का मंदिर, मांडू और ओंकारेश्वर भी है। अत: मध्य प्रदेश में मालवा का यह सम्पूर्ण क्षेत्र धार्मिक कॉरिडोर के रूप में पहचान बनाने में निश्चित ही सफल होगा। मालवा के क्षेत्र को शांत और मौसम के लिहाज से उत्कृष्ट माना जाता है, अब श्री महाकाल लोक की लोकप्रियता और आकर्षण से इस क्षेत्र में नए-नए उद्योग भी बढ़ेंगे। बहरहाल उज्जैन में नवनिर्मित श्री महाकाल लोक भारत के धार्मिक और आध्यात्मिक स्थानों के लिए उत्कृष्ट उदाहरण बनने जा रहा है। सांस्कृतिक विरासत,रोजगार और पर्यटन के अदभुत केंद्र के रूप में दुनिया भर में अपना विशिष्ट स्थान बनाने में यह सफल होगा, इसकी स्वर्णिम संभावनाएं है।