प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज पंजाब के अमृतसर में जलियांवाला बाग स्मारक के पुनर्निर्मित परिसर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राष्ट्र को समर्पित करेंगे। पीएम मोदी स्मारक में तैयार की गई संग्रहालय दीर्घाओं का भी उद्घाटन करेंगे।
पीएम मोदी शाम 6:25 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जलियांवाला बाग स्मारक के पुनर्निर्मित परिसर को राष्ट्र को समर्पित करेंगे। इस स्मारक में निर्मित संग्रहालय दीर्घाओं का भी उद्घाटन करेंगे। इस आयोजन के दौरान समूचे परिसर को उन्नत करने के लिए सरकार द्वारा की गई अनगिनत विकास पहलों को भी दर्शाया जाएगा।
परिसर में किए गए हैें कई आधुनिक बदलाव
लंबे समय से बेकार पड़ी और कम उपयोग वाली इमारतों का दोबारा अनुकूल इस्तेमाल सुनिश्चित करते हुए चार संग्रहालय दीर्घाएं निर्मित की गई हैं। ये दीर्घाएं उस समय पंजाब में घटित विभिन्न घटनाओं के विशेष ऐतिहासिक महत्व को दर्शाती हैं। इन घटनाओं को दिखाने के लिए श्रव्य-दृश्य प्रौद्योगिकी के माध्यम से प्रस्तुति दी जाएगी जिसमें मैपिंग और 3डी चित्रण के साथ-साथ कला एवं मूर्तिकला भी शामिल हैं।
पुनर्निर्माण कार्य
13 अप्रैल, 1919 को घटित विभिन्न घटनाओं को दर्शाने के लिए एक साउंड एंड लाइट शो की व्यवस्था की गई है।
परिसर में विकास से जुड़ी कई पहल की गई हैं। पंजाब की स्थानीय स्थापत्य शैली के अनुरूप धरोहर संबंधी विस्तृत पुनर्निर्माण कार्य किए गए हैं।
शहीदी कुएं की मरम्मत की गई है और नवविकसित संरचना के साथ इसका पुनर्निर्माण किया गया है।
बाग का केंद्रीय स्थल माने जाने वाले ‘ज्वाला स्मारक’ की मरम्मत करने के साथ-साथ इसका पुनर्निर्माण किया गया है।
यहां स्थित तालाब को एक ‘लिली तालाब’ के रूप में फिर से विकसित किया गया है।
लोगों को आने-जाने में सुविधा के लिए यहां स्थित मार्गों को चौड़ा किया गया है।
नई सुविधाएं
इसमें अनेक नई और आधुनिक सुविधाओं को जोड़ा गया है, जिनमें लोगों की आवाजाही के लिए उपयुक्त संकेतकों से युक्त नव विकसित मार्ग, महत्व पूर्ण स्थानों को रोशन करना, देशी वृक्षारोपण के साथ बेहतर भूदृश्य एवं चट्टानों युक्त निर्माण कार्य इत्याादि, पूरे बगीचे में ऑडियो नोड्स लगाना शामिल हैं। इसके अलावा मोक्ष स्थल, अमर ज्योत और ध्वज मस्तूल को समाहित करने के लिए अनेक नए क्षेत्रों का विकास किया गया है।
क्या है जलियांवाला बाग
जलियांवाला बाग अब नये स्वरूप में देश के सामने आ रहा है, ताकि हमेशा के लिये बाग के शहीद हमारी स्मृति में अंकित रहें। अमृतसर का यही वह बाग है, जहां 13 अप्रैल, 1919 की शाम अंग्रेजी सरकार ने भीषण नरसंहार किया था। अंग्रेज सैनिकों ने निहत्थे लोगों पर लगातार 10 मिनट तक गोलियां बरसायी थी, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गये थे। जलियांवाला बाग की दीवार पर गोलियों के निशान अब भी मौजूद हैं। यह बात कही जाती है कि उस रात जालियांवाला बाग में घायल हुये लोगों को कोई डॉक्टरी सहायता नहीं पहुंची। न ही लोगों को अपने मृतकों और घायलों को मैदान से बाहर ले जाने की अनुमति दी गई।
साभार : NewsOnAir