प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से राज्यों के बीच ‘सहकारी प्रतिस्पर्धी संघवाद’ को बढ़ावा देने की जरूरत पर बल दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सहकारी संघवाद हमारे लोकतंत्र की नींव है। इसके साथ ही हमें सहकारी प्रतिस्पर्धी संघवाद की भी जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘हमें प्रगति पर प्रतिस्पर्धा की जरूरत है। अगर एक राज्य ने प्रगति सुनिश्चित करने के लिए काम किया है, तो दूसरे को बेहतर करना चाहिए।’ पीएम मोदी ने 76वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए ऐसी ही 10 प्रमुख बातें कहीं हैं। आइए अब जानते हैं उनके बारे में…
पीएम मोदी के भाषण की 10 प्रमुख बातें…
1. ये ठीक है कि चुनौतियां बहुत हैं। अगर इस देश के सामने करोड़ों संकट हैं, तो इतने ही समाधान भी हैं। मेरा 130 करोड़ देशवासियों पर भरोसा है। निर्धारित लक्ष्य के साथ, संकल्प के प्रति समर्पण के साथ जब 130 करोड़ देशवासी आगे बढ़ते हैं, तो हिंदुस्तान 130 कदम आगे बढ़ जाता है।
2. देश के सामने दो बड़ी चुनौतियां हैं। पहली चुनौती है भ्रष्टाचार, दूसरी चुनौती है भाई-भतीजावाद, परिवारवाद। एक तरफ वे लोग हैं जिनके पास रहने के लिए जगह नहीं है और दूसरी तरफ वे लोग हैं जिनके पास चोरी किया माल रखने की जगह नहीं है। ये स्थिति अच्छी नहीं है।
3. मैं भाई भतीजावाद, परिवारवाद की बात करता हूं तो लोगों को लगता है मैं सिर्फ राजनीतिक क्षेत्र की बात कर रहा हूं। दुर्भाग्य से राजनीति की इस बुराई ने हिन्दुस्तान की सभी संस्थाओं में परिवारवाद को पोषित कर दिया है। इससे मेरे देश की प्रतिभा को नुकसान होता है।
4. जो लोग पिछली सरकारों में देश को लूटकर भाग गए, उनकी संपत्तियां जब्त करके वापिस लाने की कोशिश कर रहे हैं। हमारी कोशिश है कि जिन्होंने देश को लूटा है उन्हें लौटाना पड़े वो स्थिति हम पैदा कर रहे हैं। हम भ्रष्टाचार के खिलाफ एक निर्णायक कालखंड में कदम रख रहे हैं।
5. आने वाले 25 साल के लिए हमें इन पंच प्रण पर अपनी शक्ति को केंद्रित करना होगा। ये पंच प्रण हैं- विकसित भारत के बड़े संकल्पों और संकल्प के साथ आगे बढ़ना, दासता के सभी निशान मिटा देना, विरासत पर गर्व करना, एकता की ताकत को पहचानना और नागरिकों के कर्तव्य जिनमें पीएम और सीएम शामिल हैं। 2047 में जब आजादी के 100 साल होंगे, आजादी के दीवानों के सारे सपने पूरे करने का जिम्मा उठाकर चलना होगा।
6. हमने देखा है कि कभी-कभी हमारी प्रतिभा भाषा के बंधनों में बंध जाती है। ये गुलामी की मानसिकता का परिणाम है। हमें हमारे देश की हर भाषा पर गर्व होना चाहिए। अपनी भाषा में शिक्षा जरूरी है। भाषा के कारण कोई बाधा न आए, इसके लिए प्रबंध जरूरी है।
7. हम जीव में भी शिव देखते हैं, हम वो लोग हैं जो नर में नारायण देखते हैं, हम वो लोग हैं जो नारी को नारायणी कहते हैं, हम वो लोग हैं जो पौधे में परमात्मा देखते हैं। ये हमारा सामर्थ्य है, जब विश्व के सामने खुद गर्व करेंगे तो दुनिया करेगी।
8. जय जवान, जय किसान का लाल बहादुर शास्त्री जी का मंत्र आज भी देश के लिए प्रेरणा है। अटल जी ने जय विज्ञान कह कर उसमें एक कड़ी जोड़ दी थी, लेकिन अब अमृत काल के लिए एक और अनिवार्यता है, वो है जय अनुसंधान। जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान।
9. आज देश की सेना के जवानों का हृदय से अभिनंदन करना चाहता हूं। मेरी आत्मनिर्भरता की बात को संगठित स्वरूप में, साहस के स्वरूप में, सेना के जवानों और सेनानायकों ने जिस जिम्मेदारी के साथ कंधे पर उठाया, उनको आज मैं सैल्यूट करता हूं।
10. भारत लोकतंत्र की जननी है। मदर ऑफ डेमोक्रेसी है, जिनके जहन में लोकतंत्र होता है वे जब संकल्प करके चल पड़ते हैं वो सामर्थ्य दुनिया की बड़ी बड़ी सल्तनतों के लिए भी संकट का काल लेकर आती है ये मदर ऑफ डेमोक्रेसी है।