पीएम मोदी बुधवार को कुशीनगर में भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण स्थल का भ्रमण करने पहुंचे। जहां उन्होंने भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण मंदिर में चीवर दान किया। गौरतलब हो, कुशीनगर के महापरिनिर्वाण मंदिर में स्थित बुद्ध की शयन मुद्रा की प्रतिमा अपने आप में बेहद अद्भुत है।
यहां भगवान बुद्ध की ऐतिहासिक प्रतिमा
दरअसल, इस प्रतिमा के सिर पैर व मध्य भाग से अलग-अलग अर्थ निकलते हैं। जी हां, महापरिनिर्वाण मंदिर में बुद्ध की 5वीं सदी की शयन मुद्रा की प्रतिमा है। इस मंदिर में भगवान बुद्ध की 6.1 मीटर ऊंची मूर्ति लेटी हुई मुद्रा में रखी है।
यहीं हुई थी भगवान बुद्ध को मोक्ष की प्राप्ति
यह मूर्ति उस काल को दर्शाती है जब 80 वर्ष की आयु में भगवान बुद्ध ने अपने पार्थिव शरीर को छोड़ दिया था और सदा-सदा के लिए जन्म और मृत्यु के बंधन से मुक्त हो गए थे, यानि उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो गई थी।
भगवान बुद्ध की प्रतिमा की खासियत
भगवान बुद्ध की इस मूर्ति को लाल बलुआ पत्थर के एक ही टुकड़े से बनाया गया था। इस मूर्ति में भगवान को पश्चिम दिशा की तरफ देखते हुए दर्शाया गया है, यह मुद्रा, महापरिनिर्वाण के लिए सही आसन माना जाता है। इस मूर्ति को एक बड़े पत्थर वाले प्लेटफॉर्म के सपोर्ट से कोनों पर पत्थरों के खंभे पर स्थापित किया गया है।
इस प्लेटफॉर्म या मंच पर, भगवान बुद्ध के एक शिष्य हरिबाला ने 5वीं सदी में एक शिलालेख बनवाया था। मंदिर और विहार दोनों ही एक शिष्य की तरफ से गुरु को दिया जाने वाला उपहार था। इस मंदिर में हर साल, पूरी दुनिया से हजारों पर्यटक और तीर्थयात्री भारी संख्या में आते है।
दरअसल, महापरिनिर्वाण स्थली होने के नाते बुद्ध की शयन मुद्रा की प्रतिमा पूरे विश्व में एकमात्र यही है। ऐसे में दुनिया भर के बौद्ध अनुयायी यहा आते हैं। इस प्रतिमा की खासियत विभिन्न स्थानों से विभिन्न मुद्रा का दिखना है। यह प्रतिमा सिर की तरफ से मुस्कुराती हुई, मध्य से चिंतनमय व पैर की तरफ से देखने पर शयन मुद्रा का आभास कराती है।