पीएम ग्राम सड़क योजना : देश की प्रगति के लिए ”ए रोड टू एवरी विलेज”

”प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना” आज देश की प्रगति का मार्ग बन गई है। ”ए रोड टू एवरी विलेज” की संकल्पना लिए जिस तेजी से केंद्र सरकार इस योजना को सुंदर आकार देने में जुटी है उससे भारत के गांवों का आने वाला कल सुनहरा होगा। इस योजना के माध्यम से अभी तक कई गांवों का उद्धार किया जा चुका है। आज इन गांव के निवासियों को अपने गांव छोड़कर शहरों की और रुख नहीं करना पड़ रहा। जी हां, देश के दूर-सुदूर इलाकों में स्थित उन तमाम गांवों तक को जोड़ने का काम किया जा रहा है। इस क्रम में बहुत से गांव तो ऐसे भी मिले जो लंबे वक्त तक सड़कों के अभाव में विकास की राह से कटे हुए थे। वाकयी आज ऐसे अनेक गांवों के लिए ”पीएम ग्राम सड़क योजना” वरदान साबित हो रही है।

2021-22 में 6.9 लाख किलोमीटर की सड़कें तैयार

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत 2021-22 में 6.9 लाख किलोमीटर की सड़कें तैयार की गई है, जिनके जरिए प्रत्‍येक मौसम में चलने लायक सड़कों के निर्माण के साथ, गांवों के निवासियों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार आया है। वहीं अब स्कूलों, स्वास्थ्य केंद्रों और बाजारों तक लोगों पहुंच सुगम और सरल हो रही है। वहीं 2020-21 में प्रतिदिन सड़क निर्माण बढ़कर 36.5 किलोमीटर हुआ, यह निर्माण 2019-20 की तुलना में 30.4 प्रतिशत बढ़ा है। योजना के जरिए प्रत्‍येक मौसम में चलने लायक सभी सड़कों के निर्माण के साथ, गांवों के निवासियों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा और लोगों की स्कूलों, स्वास्थ्य केंद्रों और बाजारों तक बेहतर पहुंच सुनिश्चित होगी।

कब शुरू हुई योजना ?

”25 दिसंबर 2000” को प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना शुरू की गई थी। 2000 की जनगणना के आधार पर असंबद्ध बस्तियों को जोड़ने के लिए यह सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है। बताना चाहेंगे कि 2014 से पहले की सरकारों में इस योजना के अन्तर्गत जितनी तेजी के साथ कार्य होना चाहिए था वह नहीं सका। इसका बड़ा उदाहरण है 2013-14 में निर्मित 3.8 लाख किलोमीटर ग्रामीण सड़कें जबकि इसी योजना के अंतर्गत पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2021-22 में 6.9 लाख किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया गया।

कार्यक्रम का उद्देश्य

ग्रामीण सड़क संपर्क आर्थिक और सामाजिक सेवाओं तक पहुंच का संवर्धन करते हुए भारत में कृषि आय और उत्पादक रोजगार अवसरों का अधिक मात्रा में सृजन करते हुए ग्रामीण विकास का न केवल एक मुख्य घटक है बल्कि स्थाई रूप से गरीबी निवारण कार्यक्रम का भी एक मुख्य भाग है। पिछले वर्षों में विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए केंद्र और राज्य स्तरों पर किए गए प्रयासों से गांव अब बारहमासी सड़कों से जुड़ रहे हैं लेकिन इस क्रम में अभी भी कुछ गांव बाकी हैं जिन्हें जोड़ने का काम जारी है। यह सर्वविदित है कि जहां पर सड़क संपर्क मुहैया कराया गया है वहां के लोगों के जीवन में बड़ा सुधार देखने को मिला है। सरकार इन सड़कों के जरिए तमाम उद्देश्यों को पूरा कर रही है।

पहाड़ी इलाकों के लिए सड़कों का निर्माण

1000 और अधिक की आबादी वाली बसावटों वाले इलाकों में और 500 से अधिक की आबादी वाली जगहों पर सड़कों से जोड़ने का काम किया जा रहा है। योजना के अंतर्गत पर्वतीय राज्यों जिनमें पूर्वोत्तर के सभी राज्यों व सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, लद्दाख पर खासा ध्यान दिया गया है। इसके साथ ही जनजातीय क्षेत्रों में भी इस योजना का उद्देश्य 250 और इससे अधिक की आबादी वाली बसावटों को सड़कों से जोड़ने का है।

किसानों के लिए मददगार

किसान इस देश की ताकत है। इनकी मदद के लिए केंद्र सरकार ने पीएम ग्राम सड़क योजना शुरू की। आज गांव में रहने वाले किसान भाई अपनी तैयार फसलों को इन्हीं सड़कों माध्यम से शहर में लाकर बेच रहे हैं, जिससे वे अच्छा मुनाफा कमाते हैं। अब गांव के किसानों की पहुंच केवल ग्रामीण मंडियों तक ही नहीं रह गई है। वे इन सड़कों के जरिए सीधे शहर में अपनी फसल के खरीददारों तक पहुंच रहे हैं। साथ ही साथ अब खराब सड़कों के कारण सब्जियों और फलों के खराब होने वाले दिन भी चले गए हैं। अब किसानों को इस योजना के माध्यम से बेहतर और सुगम सड़कें मिल रही हैं जिनके जरिए वह समय पर अपनी सब्जियों, फलों, दूध, दही इत्यादि को शहरों तक पहुंचा रहे हैं। वहीं गांव में रह रहे बिचौलियों की मनमानी भी खत्म होती जा रही है। सरकार की ओर से गांव में पक्की सड़कों का निर्माण तेजी से किया जा रहा है। इतना ही नहीं, यदि आपके गांव में अभी भी सड़कें खराब हैं और शहरी इलाकों तक इनकी पहुंच नहीं है, तो आप भी इस योजना के तहत अपने गांव में सड़क का निर्माण करा सकते हैं।

वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के लिए सड़क संपर्क परियोजना

याद हो बीते वर्ष, प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) सड़कों और पुलों के निर्माण के शेष कार्यों को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना-I और II को सितंबर, 2022 तक जारी रखने से संबंधित ग्रामीण विकास मंत्रालय के ग्रामीण विकास विभाग के प्रस्ताव को मंजूर किया गया था। सीसीईए ने वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के लिए सड़क संपर्क परियोजना को मार्च, 2023 तक जारी रखने के लिए भी अपनी मंजूरी दी।

पीएमजीएसवाई-I

भारत सरकार ने मैदानी क्षेत्रों में 500 से अधिक जनसंख्या वाली और उत्तर-पूर्व तथा हिमालयी राज्यों में 250 से अधिक जनसंख्या वाली सड़क से वंचित बस्तियों को कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए पीएमजीएसवाई-I की शुरुआत की। चयनित वामपंथी उग्रवाद ब्लॉकों में, 100 से अधिक जनसंख्या वाली बस्तियों को भी कनेक्टिविटी प्रदान की जानी थी। ऐसी कुल 1,84,444 बस्तियों में से कुछ बस्तियां ही शेष हैं। कुल स्वीकृत 6,45,627 किलोमीटर लंबी सड़कों और 7,523 पुलों में से 20,950 किलोमीटर लंबी सड़कों और 1,974 पुलों के कार्यों को पूरा करना शेष है। इस प्रकार, अब ये कार्य पूरे हो जाएंगे।

पीएमजीएसवाई- II

पीएमजीएसवाई- II के तहत, 50,000 किलोमीटर ग्रामीण सड़क नेटवर्क के उन्नयन की परिकल्पना की गई थी। कुल 49,885 किलोमीटर लंबी सड़कों और 765 एलएसबी स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से केवल 4,240 किलोमीटर लंबी सड़कों और 254 पुलों का कार्य शेष हैं। इस प्रकार, अब ये कार्य पूरे हो जाएंगे। पीएमजीएसवाई-II को मई, 2013 में कैबिनेट द्वारा अनुमोदित किया गया था, जिसमें मौजूदा ग्रामीण सड़क नेटवर्क के 50,000 किलोमीटर लंबाई को पूरा करने की परिकल्पना की गई थी।

रोजगार सृजन क्षमता सहित प्रमुख प्रभाव

पीएमजीएसवाई पर किए गए विभिन्न स्वतंत्र प्रभाव मूल्यांकन अध्ययनों का निष्कर्ष है कि इस योजना का कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, शहरीकरण और रोजगार सृजन आदि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। विकास के संदर्भ में ग्रामीण संपर्क एक अनिवार्यता है। लोगों को वस्तुओं और सेवाओं के साथ-साथ परिवहन सड़क नेटवर्क में समग्र सुधार प्राप्त होगा। सड़कों के निर्माण और उन्नयन से स्थानीय जनता को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह के रोजगार भी प्राप्त होगें।

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