लोग सभी खामोश हैं, दुबके सभी प्रधान !
नर्स पुलिस डॉक्टर बनें, सब के दयानिधान !!
अभिमन्यु से कम नहीं, खाकी पहरेदार !
चक्रव्यूह में भी करे, कोरोना पर वार !!
कोरोना से लड़ रहे, भूलें आज थकान !
जज्बा इनका देखकर, ईश्वर है हैरान !!
कामचोर जिनको कहा, माना सदा दलाल !
खड़े साथ हैं आपके, देखो वो हर हाल !!
कोने-कोने हैं खड़े, खाकी पहन जवान !
सांस बचाने आपकी, होते खुद कुर्बान !!
खाली-खाली रास्ते, सड़कें हैं सुनसान !
केवल तुमसे पूछते, पुलिस वाले ध्यान !!
विपदा में है वो खड़े, सहते कष्ट हज़ार !
बचा रहें हैं आज वो, सपनों का संसार !!
सौरभ हर पल लड़ रहे, विपद काल के शाह !
दिखा रहे तुमको सही, वक्त पड़े की राह !!
नर-नर रोया दुःख में, कोय न बैठा पास !
खाकी के योद्धा बनें,आज वतन की आस !!
सौरभ तुमसे आज फिर, करें यही अरदास !
सौरभ अब तो मानिये, उनके किये प्रयास !!
रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस, दिल्ली यूनिवर्सिटी,
कवि,स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, आकाशवाणी एवं टीवी पेनालिस्ट।