पटना- जलजमाव निकासी नाला निर्माण में विधायक और पार्षदों की कीत-कीत में फिर डूबेगा पटना ?

पटना 29 मई 2020
पटना जलजमाव एक त्रासदी के रूप आता है और लाखों करोड़ो रूपये की सम्पत्ति अपने साथ डूबा देता है। यह कोई एक बार का मामला नहीं बल्कि हर साल का मामला होता है। पिछले कई दशकों से पटना का बहुत सा इलाका इस त्रासदी से प्रभावित है।

काफी जद्दोजहद के बाद कंकड़बाग के क्षेत्र में नाला का निर्माण आरम्भ किया गया ताकि स्थानीय लोगों की समस्या का निराकरण हो सके। परन्तु निर्माण को लेकर विधायक और वार्ड पार्षदों में ठन गयी। मामला नाले को संप हाउस में मिलाने को लेकर है। विरोध के बाद कार्य रोकने के लिए प्रयास किये गए। आदेश भी जारी हो गए। ताजा मामले में कार्य जारी रखने को लेकर विरोध जारी है।

देखिये विस्तृत रिपोर्ट :

नाला निर्माण के रोक के बाद भी कार्य जारी रखने को लेकर कई सामाजिक संगठन विरोध जता रहे हैं। आरोप है कि निगमायुकत के आदेश के बावजूद कुम्हरार के विधायक अरुण कुमार सिन्हा एवं विभागीय अभियंताओ के मिलि भगत से नाला निर्माण जारी है। संगठनों का आरोप है कि नाला के लिए निकासी की जो प्रक्रिया अपनाई गयी है उससे समस्या दूर होने के बजाय और बढ़ेगी।

वहीं दूसरी ओर पटना दक्षिण नागरिक संघर्ष समिति के तत्वावधान में कंकड़बाग मे जीरो पॉइंट पर क्षमता से अधिक बाहरी इलाकों के नाला को जोड़ने के विरुद्ध हो रहा आन्दोलन आज भी जारी रहा। समिति के आन्दोलन के समर्थन में जहानाबाद के पूर्व सांसद व भारतीय सब लोग पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अरुण कुमार ने अपने दर्जनो समर्थकों के साथ अपने निजी आवास पर लोकडाउन के नियमानुसार सांकेतिक धरना दिया।

राजधानी पटना में बीजेपी लगभग 30 वर्षों से राज, जलजमाव के नाम पर हुए खर्चे का जारी करें श्वेत पत्र

डा० अरुण कुमार ने पटना जलजमाव पर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि राजधानी पटना में बीजेपी लगभग 30 वर्षों से राज कर रही है पर यहाँ की जलजमाव की समस्या ज्यों की त्यों है। प्रति वर्ष जल निकासी के नाम पर सरकार और विभागीय अधिकारीयों द्वारा करोडो रूपये खर्च किये जाते हैं पर आज तक कोई स्थाई समाधान नहीं निकला है। उन्होंने सरकार से पटना जलजमाव पर पिछले 30 वर्षों के खर्च पर श्वेत पत्र जारी करने की मांग की।

समिति के अध्यक्ष दीपक कुमार अग्रवाल कई स्थानीय वार्ड पार्षदों के साथ प्रतिनिधिमंडल के रूप में पटना नगर निगम के उपमहापौर मीरा देवी से कार्यालय में मुलाकात कर उन्हे स्थिति से अवगत कराया।इस प्रतिनिधिमंडल में वार्ड पार्षद पिंकी यादव, कुमार संजीत बबलू, माला सिन्हा, अर्चना राय शामिल थें। इधर कई अन्य संगठनों ने भी समिति की मांग को जायज़ ठहराते हुए दोषी लोगों के विरुद्ध कारवाई करने की मांग राज्य सरकार से की है।

प्रतिनिधिमंडल के अन्य सदस्यों समेत स्थानीय वार्ड पार्षदों ने निगमायुकत से आग्रह किया कि बाहरी इलाकों का जुड़ाव जीरो पवाईट पर स्वागतयोग्य है, परन्तु रामविलास चौक, संजय नगर, रामदेव मंदिर, पोस्टर पार्क आदि इलाकों का जलबहाव के लिए बाईपास के समानांतर पाईप योगीपुर के बाहरी बहाव से जोड़ा जाये ताकि आने वाले बरसात में इन नये विकसित इलाकों में भी जल जमाव न हो।

समिति के अध्यक्ष दीपक कुमार अग्रवाल ने कहा कि बाहरी इलाकों के विकास के साथ उन इलाकों में भी डरेनेज व सीवरेज का स्वतंत्र निकास हो तथा उनका निकास बाईपास के किनारे पहाड़ी सम्प हाउस के बहाव वाले खुलें नाला से जुड़े। नये इलाकों का पानी पुराने योगीपुर या जीरो पॉइंट से जोड़ने से बहाव की गति भी घटेगी तथा इतने अधिक जल बहाव की क्षमता न होने से बाहरी निकास के दीवार में भी दरार आ जायेगीं। इस प्रकार की समस्या सैदपुर नाले में हमेशा देखा जाता है। पानी का निकास अवरूद्ध होने से पूरा इलाका जलमग्न हो जायेगा। इसी कारण जल प्रवाह को बिना कंकडबाग मे मोरे हुए सीधे स्वतंत्र रूप से बाईपास के किनारे से ले जाया जाए।

उपमहापौर मीरा देवी जनता के विरोध के बावजूद सरकार, विधायक और विभाग की चुप्पी पर उठाया प्रश्न

मामले की गंभीरता देखते हुए पटना नगर निगम की उपमहापौर मीरा देवी भी इस मुद्दे पर सामने आ गयीं। उन्होंने जनता के विरोध के बावजूद सरकार की चुप्पी पर प्रश्न उठाया है। उन्होंने कहा कि ड्रेनेज को सीवरेज से जोड़ना पटना नगर निगम अधिनियम के तहत गैर क़ानूनी है। उन्होंने यह भी कहा कि नगर विकास विभाग के द्वारा भी सीवरेज और ड्रेनेज को अलग-अलग रखने की बात की जाती रही है।

उपमहापौर ने कहा कि पिछले 15 दिनों से कंकड़बाग में आम जन आन्दोलन कर रहे हैं और सरकार, विधायक और विभाग ने चुप्पी साध रखी है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि तकनीकी कमिटी बनाकर चैम्बर की क्षमता एवं गहराई की जाँच करने के बाद हीं अग्रेतर कारवाई की जाये।

 

समिति और स्थानीय पार्षदों की बात सही निकली तो यह इलाका जलजमाव के सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर देगा

अगर समिति और स्थानीय पार्षदों की बात सही निकलती है तो उस स्थिति में पटना का जलजमाव इस बार अपने हीं बनाये सभी रिकॉर्ड को स्वयं ध्वस्त कर देगा। नाले निर्माण को लेकर स्थानीय नागरिकों में भी असहज की स्थिति उत्पन्न हो गयी है। स्थानीय नागरिकों को जल जमाव से मुक्ति चाहिये।

आपको बताते चले की  कंकरबाग जीरो पॉइंट पर बना संप हाउस भी निर्माण अवधि में विवादों के घेरे में रहा था। इस छोटे से संप हाउस के निर्माण जहाँ मोटी रकम खर्च हुई वहीं कई साल लग गए। इतने साल में यह क्षेत्र लगातार डूबता रहा इस उम्मीद में कि संप हाउस बनने के बाद लोग इस त्रासदी से मुक्त हो जायेंगे। परन्तु ऐसा नहीं हुआ, संप हाउस हर बरसात में फेल होता गया। अगर दुर्भाग्य रहा कंकरबाग के निवासियों का इस नाले का भी वही हश्र होने से रोकना संभव नहीं होगा।

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