प्रशांत किशोर के फैसले की सराहना करते हुए जदयू समेत एनडीए के अन्य घटक दलों से भी देश हित में राजसभा में इस बिल के विरोध में खड़े होने का आह्वान किया

नागरिकता संशोधन बिल सबका साथ मुसलमानों पर अविश्वास के समान है -एजाज अहमद

पटना  जन अधिकार पार्टी लोकतांत्रिक राष्ट्रीय प्रधान महासचिव एजाज अहमद ने एनडीए सरकार द्वारा लोकसभा से पास कराए गए नागरिकता संशोधन बिल भारत के संविधान के आर्टिकल 14 का उल्लंघन है जिसमें सभी धर्म के लोगों को मिले अधिकार की रक्षा करने तथा किसी के प्रति भेदभाव की नीति नहीं अपनाने की बात कही गई है ,लेकिन इसके विरुद्ध लोकसभा से पास कराया गया नागरिकता संशोधन बिल देश हित में नहीं है, बल्कि यह धार्मिक आधार पर मुल्क को कमजोर करने की एक साजिश का हिस्सा है ।

इन्होंने इस बिल को सभी दलों से देश हित में राज्यसभा में पास नहीं होने देने की अपील की है, क्योंकि देश की आजादी में सभी ने धर्म के लोगों ने बढ़ कर हिस्सा लिया था और जिन्ना के सिद्धांत को नकार कर देश के मुसलमानों ने डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के संविधान पर विश्वास करके सभी धर्म के लोगों के लोगों के साथ मिलकर पूरी एकजुटता के साथ मुल्क को मजबूत बनाने का संकल्प लिया था। और उसी पर अमल करते हुए लोगों ने एक दूसरे के साथ परस्पर सहयोग और समर्थन के बल पर देश की मजबूती के लिए कार्य किया । आज भाजपा अपने निजी स्वार्थ में मुल्क को फिर से उसी सिद्धांत पर ले जाना चाहते हैं जिस सिद्धांत को अपनाकर जिन्ना ने भारत को कमजोर करने का कार्य किया था। इन्होंने पूछा कि जब उत्पीड़न के आधार पर ही छह धर्मों के लोगों को नागरिकता देने की बात है तो पड़ोसी चीन, म्यांमार एवं श्रीलंका में मुसलमानों के साथ भी जुल्म और ज्यादती तथा उत्पीड़न की घटनाएं हो रही है क्या मानवता के आधार पर इनको भारत में संरक्षण नहीं दिया जा सकता है यह बड़ा सवाल है ? यह तो उसी तरह से है कि सबका साथ लेकिन मुसलमानों पर अविश्वास क्या इससे देश में एक बड़ी आबादी को छोड़कर विकास हो सकता है और मानवता की रक्षा हो सकती है, यह सबसे बड़ा प्रश्न आज देश के सामने खड़ा है? क्योंकि गांधी और विवेकानंद ने कहा था कि सभी धर्मों को साथ लेकर ही देश को आगे लेकर जाया जा सकता है।
इन्होंने जदयू के नेतृत्व से पूछा कि क्या वह भी देश के मुसलमानों को 1947 वाली स्थिति में पहुंचाना चाहते हैं और देश को धार्मिक आधार पर कमजोर करने के अभियान में आर एस एस और भाजपा के एजेंडा के मुताबिक चलना चाहते हैं अभी भी समय है जदयू नेतृत्व राज्यसभा में इस बिल का विरोध करें इन्होंने जदयू के नेता प्रशांत किशोर समेत अन्य नेताओं के द्वारा पार्टी के फैसले के विरोध में खड़े होने को देश के हित में उठाया गया साहसिक कदम बताया और कहा कि इससे कहीं ना कहीं जदयू नेतृत्व अपने फैसले पर पुनर्विचार अवश्य करेगी क्योंकि देश पहले है उसके बाद ही राजनीति और धर्म है।
एजाज ने ऐसे दुष्परिणाम के खिलाफ देश के सभी धर्म, मजहब, जात और क्षेत्र के लोगो को लाभ हानि के विचारों से अलग हटकर देश हित में सभी को नागरिकता संशोधन बिल का विरोध करना चाहिए ,क्योंकि यह ना तो देश हित में है और ना ही किसी धर्म विशेष के हित में है,कुछ स्वार्थी तत्व ऐसा वातावरण बनाकर सिर्फ इसे वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करने का हथियार बनाना चाहते हैं । इसके खिलाफ सभी नागरिकों , पार्टियों,बुद्धिजीवियों,समाजसेवि-यों देशहित के सोच में काम करने वाले सभी लोगों को इस बिल को राज्यसभा में पास होने से पहले विरोध के लिए माहौल बनाना होगा अन्यथा यह बिल देश को कमजोर ही करेगा । इस बिल को हथियार बनाकर देश विरोधी ताकते मुल्क को कमजोर करने का आधार बना सकती है, जिससे हम सभी को सजग होकर इसके खिलाफ मजबूती से खड़ा होना होगा। क्योंकि यह बिल सिर्फ एक धर्म को टारगेट करके लाया जा रहा जो किसी भी दृष्टिकोण से ठीक नहीं है
एक बड़ी आबादी को नकार कर मुल्क को मजबूत करने का संकल्प लेकर चलने वाली राष्ट्रवादी दृष्टिकोण वाली पार्टी अपना हित साध सकती है लेकिन मुल्क को कमजोर करके क्या ये सभी को मंजूर होगा, क्योंकि केंद्र सरकार खतरनाक खेल खेल रही है और इस खेल में किसी भी राजनीतिक पार्टी या व्यक्ति को इस्तेमाल नहीं होना चाहिए जो देश हित में नहीं हो। उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक एनआरसी की एक कड़ी है।

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