बिहार के OBC छात्रों के साथ हकमारी करने में लगी है नीतीश सरकार

BPSC रिजल्ट का कटऑफ है बाबा साहब के संविधान से मिले आरक्षण को खत्म करने की साजिश : अनिल कुमार 

गांधी को याद करने वाले नीतीश कुमार ने उनके पंचायती राज को बना दिया नीतीश राज 

पटना, 21 अक्टूबर 2019 : जनतांत्रिक विकास पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल कुमार ने आज बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन (BPSC) परीक्षा में OBC का कटऑफ, जनरल कैटेगरी के उम्मीदवारों से ऊपर जाने के मामले को बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर के संविधान से मिले आरक्षण के अधिकार को खत्म करने की साजिश बताया। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार अब बिहार में संविधान विरोधी भाजपा – आरएसएस के एजेंडे को लागू कर OBC छात्रों के साथ हकमारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने अपने 14 साल के शासन काल में बिहार को बर्बाद कर दिया और अब मुख में राम बगल में छुरी के तर्ज पर अब पिछड़े और वंचितों के संविधान सम्मत मिले अधिकारों को खत्म करने में लगे हैं।

अनिल कुमार ने उक्त बातें आज जनतांत्रिक विकास पार्टी के प्रदेश कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन के के दौरान कहीं। इस दौरान उन्होंने पूछा कि BPSC फाइनल रिजल्ट में ओबीसी कैंडिडेट्स का फाइनल कट ऑफ है- 595, जबकि जनरल कैटेगरी के कैंडिडेट्स का कट ऑफ 588 है। आखिर पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों का कट ऑफ सामान्य वर्ग के कट ऑफ से ज्यादा कैसे हो सकता है? ये आरक्षण खत्म करने की साजिश के तहत हो रहा है। OBC का कट ऑफ जनरल कैटेगरी से ज्यादा है, जिसका मतलब है कि जिन OBC उम्मीदवारों ने परीक्षा में जनरल कैटेगरी वाले उम्मीदवारों से ज्यादा नंबर लाये हैं, फाइनल लिस्ट में पिछड़ा वर्ग के वही उम्मीदवार जगह पाने में कामयाब होंगे। यह घोर अन्याय है। इससे पहले नीतीश सरकार ने दलितों के हायर एजुकेशन के लिए शुरू हुई छात्रवृत्ति योजना को भी बंद कर दिया, ताकि दलित समाज के लोग शिक्षा से वंचित रहे। इससे नीतीश कुमार का OBC, दलित और पिछड़ा विरोधी चेहरा उजागर होता है। इसलिए उन्हें बताना होगा कि राज्य की कमजोर जनता के साथ उनकी सरकार धोखा क्यों कर रही है?

जविपा अध्यक्ष ने कहा कि आरक्षण विरोधी एनडीए सरकार जानबूझकर ऐसा कर रहे हैं। ओबीसी कटऑफ ज्यादा करके सामान्य वर्ग को 50.50 फीसदी का आरक्षण दिया जा रहा है।सुप्रीम कोर्ट का भी कहना है कि अगर OBC का कट ऑफ जनरल कैटेगरी से ज्यादा आए तो उसकी नियुक्ति जनरल कैटेगरी में मानी जाए। लेकिन ये लोग एक सुनियोजित साजिश के तहत ऐसा कर नहीं रहे हैं। इसका हमारी पार्टी घोर विरोध करती है। उन्होंने बिहार में सरकारी नौकरी में सरकार की नीतियों पर भी सवाल खड़े किए और कहा कि बिहार के छात्रों के साथ राज्य सरकार ज्यादती कर रही है। बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड, यूपी में के साथ कई ऐसे राज्य हैं जहां सिर्फ और सिर्फ वहीं के छात्रों को नौकरी दी जा रही है। जिससे बिहार युवा वंचित हो जा रहे हैं।

इसके अलावा अनिल कुमार ने नीतीश कुमार के जन विरोधी मंशे पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि वे महात्मा गांधी का नाम लेते नहीं थकते, लेकिन नीतीश कुमार ने गांधी के पंचायती राज के सपने पर भी कुठाराघात किया है। उन्होंने प्रदेश में पंचायती राज की जगह नीतीश राज को स्थापित कर दिया है, जिसमें आम जनों को उनकी भागीदारी से वंचित कर रखा है और गांधी के नाम पर सिर्फ अपनी मार्केटिंग में लगे हैं। पंचायरी राज में ग्राम पंचायत की छोटी इकाई मसलन मुखिया के भी पास अधिकार होते हैं, जिसके अधिकार को नीतीश कुमार ने छीन कर उनपर अपना लूट का एजेंडा थोपने का काम किया है। उनका सात निश्चित योजना, लूट का निश्चय योजना है, जिससे उन्होंने ग्राम पंचायत को अलग थलग कर दिया। जिसका हस्र ये हुआ कि उसमें ग्राम पंचायत का कोई दखल नहीं रहा और उनके अधिकारी इस योजना के नाम पर लूटने में मस्त हैं। इसके अलावा भी सरकार की किसी नीतियों में पंचायती राज व्यवस्था की न जिक्र होती है और न ही उन्हें शामिल किया जाता है। यह गांधी के सपनों के साथ छलावा है।

वहीं, अनिल कुमार ने दो दिन की बारिश के बाद पटना में आई जल त्रासदी को नीतीश सरकार के 14 साल का रिपोर्ट कार्ड बताया और कहा कि एक रेल हादसा कब बाद इस्तीफ़ा देने वाले नीतीश कुमार का 14 साल खून से रंगा है। चाहे वो फारबिसगंज गोली कांड हो, मशरक मिड डे मील हो, शेल्टर हाउस संगठित बलात्कार और हत्याकांड हो, चमकी बुखार में सैकड़ों बच्चों की मौत हो। इसके अलावा प्रदेश में दंगों की संख्या और आये दिन हत्याओं का सिलसिला भी जारी है। फिर भी ये कहते हैं कानून का राज है और विकास गिनवाते हैं। लेकिन हकीकत यही है कि गौरवशाली बिहार को नरक का बनाने में नीतीश कुमार की भूमिका अग्रणी रही है, जिससे अब प्रदेश की जनता छुटकारा चाहती है।

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