अब बंदरा में भी होगी मखाना की खेती

मखाना और लीची बिहार की विशेषता : डॉ गोपाल जी त्रिवेदी

मुजफ्फरपुर, 13 जनवरी : जिले के बंदरा प्रखण्ड में अब मखाना की खेती होगी। इसको लेकर गुरुवार को मतलुपुर के कोरलाहा चौर स्तिथ बाबा मतस्य हैचरी कॉम्प्लेक्स में राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ गोपाल जी त्रिवेदी द्वारा नर्सरी लगाकर इसकी शुरुआत की गयी। इस मौके पर डॉ त्रिवेदी ने कहा कि मखाना और लीची बिहार की विशेषता है। विश्व में सबसे ज्यादा प्राकृतिक संपदा हमारे देश में है, इसका अधिक से अधिक संरक्षण करते हुए इससे लाभ उठाने की जरूरत है।

उन्होंने मखाना की खेती पर चर्चा करते हुए बताया कि मखाना का उत्पादन निचले क्षेत्र यानी जहाँ पानी इकट्ठा हो वहीं हो सकता है। जैसे दरभंगा, मधुबनी, पूर्णिया, सहरसा में प्राकृतिक ढंग से होता है। इसको लेकर भारत सरकार ने मखाना अनुसंधान केंद्र बनाया फिर बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर ने सबौर मखाना वन नाम से नई वेराइटी निकाला है। उन्होंने कहा कि नई टेक्नोलॉजी से किसान इसका अच्छा उत्पादन कर सकते है।

उन्होंने किसानों को मछली उत्पादन के साथ मखाना व सिंघाड़ा की खेती करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि मखाना और सिंघाड़ा की खेती कैसे की जाए और अपनी आय को बढ़ाया जाए इसके लिए हम एक तालाब में सिर्फ मखाना, दूसरे में सिर्फ सिंघाड़ा, तीसरे में मछली और माखना, चौथे में मछली, माखना और सिंघाड़ा और एक में सिंघाड़ा और मछली देकर इसके उत्पादन स्तर की जांच करने का काम कर रहे है।

बाबा मत्स्य हैचरी काम्प्लेक्स के प्रबंधक शिवराज सिंह ने बताया की शुरुआत में हमलोग मखाना के बीज को छोटे तालाब में नर्सरी के रूप में तैयार करेंगे. चुकी नर्सरी में बीज तैयार हो जाएगा और 40 – 45 दिन नर्सरी में रखने के बाद बड़े तालाब में इसका वृक्षारोपण करेंगे। उन्होंने कहा कि बहुत जल्द पूर्णिया से मखाना के डायरेक्टर बाबा मत्स्य हैचरी काम्प्लेक्स आएंगे और किसानों को लेटेस्ट टेक्नोलॉजी के द्वारा उन्नत खेती की जानकारी देंगे। इस मौके पर रमन त्रिवेदी, शिवकुमार त्रिवेदी, गुड्डू झा समेत कई किसान मौजूद थे

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