मनुमुक्त ट्रस्ट द्वारा अंतरराष्ट्रीय कवि-सम्मेलन आयोजित एक दर्जन देशों के कवियों ने किया वर्चुअल काव्य-पाठ
मनुमुक्त ट्रस्ट द्वारा दिवंगत आईपीएस अधिकारी डॉ मनुमुक्त ‘मानव’ की स्मृति में गत शाम एक वर्चुअल अंतरराष्ट्रीय कवि-सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें भारत, नेपाल, कतर, यूएई, रूस, ब्रिटेन, नार्वे, कनाडा, अमेरिका, फिजी, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड सहित एक दर्जन देशों के कवियों ने काव्य-पाठ किया। आईबी के पूर्व सहायक निदेशक तथा पटियाला (पंजाब) के वरिष्ठ कवि नरेश नाज़ की अध्यक्षता में आयोजित इस कवि-सम्मेलन में ब्रिटिश गृहमंत्री के पूर्व सलाहकार तथा यूके हिंदी समिति, लंदन के अध्यक्ष केबीएल सक्सेना मुख्य अतिथि और वीबीएस पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर (उप्र) की कुलपति डॉ निर्मला एस मौर्य तथा सिंघानिया विश्वविद्यालय, पचेरी बड़ी (!राज) के कुलपति डॉ उमाशंकर यादव विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
अखिल भारतीय साहित्य परिषद्, नारनौल के अध्यक्ष डॉ जितेंद्र भारद्वाज द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना-गीत के उपरांत चीफट्रस्टी डॉ रामनिवास ‘मानव’ के प्रेरक सान्निध्य तथा डॉ पंकज गौड़ के कुशल संचालन में संपन्न हुए इस कवि-सम्मेलन के प्रारंभ में सभी विशिष्ट अतिथियों ने दिवंगत मनुमुक्त को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि ऐसे होनहार और ऊर्जावान पुलिस अधिकारी का असामयिक निधन देश और समाज के लिए अपूरणीय क्षति है। तत्पश्चात् भिवानी (हरि) के प्रख्यात कवि डॉ रमाकांत शर्मा ने एक मार्मिक गीत के माध्यम से अमर शहीदों को इस प्रकार श्रद्धांजलि अर्पित की-“जो राख बनकर वसुंधरा पर बिखर गए हैं, उन्हें नमन है। तिरंगे में ही लिपटकर जो घर गए हैं, उन्हें नमन है।” जौनपुर (उप्र) की डॉ निर्मला एस मौर्य ने कोरोना और एलएसी पर उपजे तनाव से आशंकित लद्दाख की जनता के दर्द को वाणी दी, तो ऑकलैंड (न्यूजीलैंड) से प्रकाशित ‘भारत दर्शन’ वैब पत्रिका के संपादक रोहितकुमार हैप्पी ने विस्थापित श्रमिकों की पीड़ा को बयां किया। काठमांडू (नेपाल) की सुविख्यात कवयित्री और ‘हिमालिनी’ पत्रिका की यशस्वी संपादिका डॉ श्वेता दीप्ति ने “मुझे रोको मत, मेरे साथ चलो। बहो उस नदी की धार की तरह, जो निरंतर बहती है” कहकर जीवन में गतिशीलता के महत्त्व को रेखांकित किया, तो सिएटल (अमेरिका) की कवयित्री डॉ मीरा सिंह ने जीवन में समन्वय और सौहार्द्र पर बल दिया। पटियाला (पंजाब) के वरिष्ठ कवि नरेश नाज़ ने अपनी खनकती आवाज में कहा-“गिड़गिड़ाया मत करो तुम एक भिखारी की तरह। जो भी तुमको चाहिए, अधिकार से मांगा करो।” बुझा नहीं सकता वह दीपक हृदय से जिसे जलाया है। प्रेम में कभी नहीं यह सोचें , क्या खोया क्या पाया है।।”
, ऑस्लो’, नार्वे से जुड़े सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’ ने फ़रमाया. देश के जाने-माने दोहाकार डॉ रामनिवास ‘मानव’ ने समकालीन जीवन-यथार्थ को कुछ यूं व्यक्त किया-“वट-पीपल के देश में पूजित आज कनेर। बूढ़ा बरगद मौन है, देख समय का फेर।।” अन्य संभागीय कवियों की रचनाओं को भी खूब सराहा गया।
संभागी कवि-कवयित्री : लगभग साढ़े तीन घंटों तक चले इस ऐतिहासिक कवि-सम्मेलन में काठमांडू (नेपाल) की डॉ श्वेता दीप्ति और महेंद्रनगर (नेपाल) के हरीशप्रसाद जोशी, ओस्लो (नार्वे) के डॉ सुरेशचंद्र शुक्ल, सिस्टल (अमेरिका) की डॉ मीरा सिंह और विनीता श्रीवास्तव, वेंकूवर (कनाडा) की प्राची रंधावा और विन्नपेग (कनाडा) की डॉ प्रीतपाल कौर, मास्को (रूस) की श्वेता सिंह, नौसोरी (फिजी) की सुएता दत्त चौधरी, मेलबोर्न (आस्ट्रेलिया) की उर्मिला मिश्रा, ऑकलैंड (न्यूजीलैंड) के रोहितकुमार ‘हैप्पी’, आबूधाबी (यूएई) की ललिता मिश्रा, दुबई सिटी (दुबई) की स्नेहा देव, दोहा (कतर) के बैजनाथ शर्मा, लंदन (ब्रिटेन) के केबीएल सक्सेना तथा भारत में जौनपुर (उप्र) की डॉ निर्मला एस मौर्य, पचेरी बड़ी (राज) के डॉ उमाशंकर यादव, चंडीगढ़ के डॉ विनोद पंकज, हरियाणा से भिवानी के डॉ रमाकांत शर्मा और डॉ शिवकांत शर्मा, सिवानी मंडी के डॉ सत्यवान सौरभ रही नहीं चौपाल में, पहले जैसी बात ! नस्लें शहरी हो गई, बदल गई देहात ! जैसे ग्रामींण परिवेश पर दोहे सुनाये तो पुराणी यादें ताज़ा हो गई. स्थानीय कवियों में डॉ जितेंद्र भारद्वाज और डॉ पंकज गौड़ आदि की सहभागिता उल्लेखनीय रही। कवि-सम्मेलन के बाद सम्मान-पत्र प्रेषित कर सभी संभागी कवियों को सम्मानित भी किया गया।
कवि-सम्मेलन के साक्षी : ऑनलाइन जुड़कर अपनी महत्त्वपूर्ण उपस्थिति से कवि-सम्मेलन को गरिमा प्रदान करने वालों में वाशिंगटन (अमेरिका) की डॉ एस अनुकृति और सिद्धार्थ रामलिंगम, मेलबर्न (ऑस्ट्रेलिया) की मंजुला ठाकुर, विन्नपैग (कनाडा) के डॉ हरविंदर चहल, आबूधाबी (यूएई) के सच्चिदानंद मिश्र तथा भारत में नई दिल्ली के जिनेंद्र जैन और डॉ सुभाष चावला, अररिया (बिहार) के डॉ जनार्दन यादव, मुंबई (महाराष्ट्र) के सुरेश कटारिया, IRS, लखनऊ (उप्र) के मृत्युंजयप्रसाद गुप्ता, हरियाणा से सोनीपत के डॉ पूर्णमल गौड़, सिवानी मंडी की प्रियंका सौरभ, महेंद्रगढ़ के डॉ प्रदीप नरवाल और नारनौल की डॉ कांता भारती, डॉ वंदना निमहोरिया, प्रो अंजू रानी, प्रो हितेश गौड़, कृष्णकुमार शर्मा, एडवोकेट आदि के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय रहे।
डॉo सत्यवान सौरभ,