जदयू चिकित्सा सेवा प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. मधुरेंदु पांडेय ने आज कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पंद्रह वर्षों के शासनकाल में राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था काफी सुदृढ़ हुआ है।
राज्य में अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और स्वास्थ उप केंद्र को क्रियान्वित करने का काम किया है
बर्ष 2005 के पूर्व जर्जर स्थिति में रहे सूबे कि स्वास्थ्य व्यवस्था को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जनता को बेहतर चिकित्सा व्यवस्था देने के लिए काफी संवेदनशीलता से कार्य करने का काम किया है।राज्य में अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और स्वास्थ उप केंद्र को क्रियान्वित करने का काम किया है।
जिस कारण सूबे कि जनता को स्वास्थ लाभ बेहतर तरीके से मिलने लगा। सूबे के ग्रामीण क्षेत्रों में जनता को समुचित स्वास्थ्य लाभ हो उसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हजारों अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और स्वास्थ्य उप केंद्रों को क्रियान्वित कर बिल्डिंग बनवाने का काम किया है और सभी विधा के चिकित्सकों को बहाल कर चिकित्सा लाभ देने का काम किया है।
जिस लालू राबड़ी शासनकाल में अस्पतालों में डॉक्टर नहीं हुआ करते थे बेडों पर कुत्ते और बिल्लियां सोया करती थी। अस्पताल के आजू-बाजू सूअर अपना बसेरा बना लिया था और वहीं अस्पताल के आगे जो चापाकल रहता था। वह भी चालू नहीं रहता था और उसमें भैंस बांधा हुआ रहता था।
ऐसी हालत में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्वास्थ्य व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए कई सारी योजनाएं और कार्यक्रम को क्रियान्वित कर राज्य की चिकित्सा व्यवस्था को मजबूत करने का काम किया है। आज चिकित्सा व्यवस्था बेहतर होने का ही परिणाम है कि राज्य में शिशु और मातृ मृत्यु दर ना के बराबर है।
पल्स पोलियो अभियान चलाकर पोलियो मुक्त राज्य बनाने का काम किया है। राज्य में कई नए मेडिकल कॉलेज खुले एम्स जैसी बड़े-बड़े अस्पतालों का निर्माण हुआ। चिकित्सा क्षेत्र के कई सेक्टर में ऐतिहासिक कार्य हुए हैं जिस कारण बिहार की जनता को स्वास्थ्य लाभ लेने में कहीं कोई दिक्कत नहीं हो रही है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चिकित्सा पद्धति के तमाम क्षेत्र के ग्रेजुएट जिसमें एलोपैथिक आयुष और डेंटिस्ट एवं पीजी किए हुए चिकित्सकों को रोजगार मुहैया देने का काम किया है।
बिहार के तमाम बड़े छोटे अस्पतालों में वेडों की संख्या में बढ़ोतरी कर मुफ्त चिकित्सा सुविधा मुहैया दिलाने का काम किया है। आज बेहतर चिकित्सा व्यवस्था रहने का ही परिणाम है कि कोरोना वायरस जैसी संक्रमित रोगियों की संख्या देश के अन्य राज्यों से काफी कम है। और रिकवरी रेट काफी बेहतर है जिस कारण कोरोना से यहां मौतें काफी कम हुआ है।
वर्ष 2005 के पूर्व जनता सरकारी अस्पतालों में अपना इलाज कराने से कतराते थे आज वही बिहार की जनता सरकारी अस्पतालों में जाकर अपना इलाज करा रहे हैं। पहले जहां महीनों में रोगियों की संख्या अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ केंद्र में बेहद कम रहा करती थी आज उन्हीं अस्पतालों में मरीजों की संख्या कई गुना ज्यादा हो गई है। राज्य की तमाम अस्पतालों में सभी विधा के डॉक्टर 24 घंटे कार्यरत रहते हैं।