बगियों को दल से निकाल कर शहीद का दर्जा नहीं देते हैं नीतीश, पर भाजपा को खुश करने के लिए पवन वर्मा और पीके बाहर का रास्ता दिखा सकती है जदयू

मधुप मणि ‘‘पिक्कू’’

जनता दल यू अपने दलों के बागियों पर कार्रवाई करते बहुत कम देखा गया है। नीतीश कुमार की अगुवाई वाले इस दल में विरोधियो के इगों और उनके मुद्दे स्वतः दफन हो जाते हैं

हालिया मुद्दा जदयू नेता पवन वर्मा का है। देखा जाये तो पवन वर्मा ने पार्टी लाइन पर सीएए और एनआरसी का विरोध तो किया पर दल की ढ़ुलमुल निति या यह कहें कि नीतीश की स्पष्टवादिता के अभाव में फंस गये। उन्होने मुख्यमंत्री को एक पत्र मेल के माध्यम से भेजा और जवाब के बजाय उन्हें अपने नेता के दो टुक बयान सुनने को मिला वह भी मीडिया के माध्यम से

पवन वर्मा के मेल और उनके पत्र मीडिया में आने से नीतीश कुमार काफी खफा नजर आये। उन्होने भी मीडिया के हीं माध्यम से सीधा जवाब दे दिया कि ‘‘जिसे जहाँ जाना है जाये’। इसके बाद भी पवन वर्मा अपने जवाब के मांग पर टिके रहें।

नीतीश कुमार के पुरानी रणनिति पर गौर किया जाये तो यह तय है कि वह न तो पवन वर्मा को दल से बाहर का रास्ता दिखायेंगे और न हीं दल में कोई अहमियत देंगे। दल के वैसे कई बड़े दिग्गज हैं जिन्होने जदयू में रह कर अपनी गतिविधि दल या दल के प्रमुख के खिलाफ की है वे भले हीं हीं पार्टी से बाहर नहीं किये गये हैं पर वे पार्टी में भी हाशिये पर हैं।

प्रशान्त किशोर, अजय आलोक ऐसे कई उदाहरण इसके गवाह हैं। नीतीश कुमार ऐसे राजनितिक व्यक्ति हैं जो किसी को भी अपने उपर हावी होने नहीं देते हैं। चाहे वह दल का व्यक्ति हो या दल के बाहर का। जब-जब कोई सहयोगी दल भी उनपर हावी होने का प्रयास किया है वह अपनी रणनिति के तहत उसे अपाहिज कर देते हैं। एनडीए की एक सहयोगी रालोसपा इसका जीता-जागता उदाहरण है

इस रणनिति के तहत जदयू किसी को भी दल से निकालकर शहीद होने का दर्जा नहीं देती है, बल्कि ऐसी परिस्थिति पैदा कर देती है कि दल में विरोधियों की अहमियत और उसके मुद्दे स्वतः दफन हो जाये। एक कड़ी और यह भी है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने एक नहीं तीन-तीन बार यह कह दिया है कि बिहार में चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में हीं लड़ा जायेगा। ऐसे में यहाँ मामला एक और यह भी बनता है कि सीएए और एनआरसी जैसे कई मुद्दे पर विरोध करने की गलती को सुधार करने और भाजपा को खुश करने के लिए अपने वैसे बागियों जो भाजपा के खिलाफ बयान देते हैं उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दे।

Related posts

Leave a Comment