बिहार में कोरोना महामारी अब विकराल रूप ले चुकी है। चाहे कितनी भी बयानबाजी हो और राहत की बात हो पर सच्चाई यही है कि यह मामला अब संभाले नहीं संभल रहा है। कोरोना जाँच से लेकर इलाज तक में सरकारी अस्पताल अब दम तोड़ने लगी है। बावजूद उसके सरकार और स्वस्थ विभाग ने निजी अस्पतालों को कोरोना के इलाज का निर्देश नहीं दिया है। इस बाबत कई सामाजिक संगठन और कार्यकर्ताओं ने सरकार से लगातार मांग कर रही है।
बिहार राज्य व्यवसायी कल्याण मंच के अध्यक्ष दीपक कुमार अग्रवाल ने भी सरकार से इस सम्बन्ध में अविलम्ब कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि आखिर वह वक्त भी आ गया जब हमें बचाने वाले ही कोरोना की चपेट में आने लगे हैं। दर्जनों पुलिसकर्मी और डॉक्टर भी इस महामारी की चपेट में आ चुके हैं। हर दिन मामले बढ़ रहे हैं और पटना संक्रमित जिलों की सूची में सबसे ऊपर है।
अस्पतालों में बेड अब कम पड़ रहे हैं। इलाज बिना लोग अब भटकने लगे हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने अभी तक किसी प्राइवेट अस्पताल को पूर्ण के इलाज के लिए नामित नहीं किया है। जबकि अभी जरूरत है कि अधिक से अधिक इलाकों में अस्पताल चिन्हित हो और कोरोना मरीज का इलाज हो।
उन्होंने कहा कि दूसरे राज्य में यह व्यवस्था चल रही है तो बिहार के स्वास्थ्य विभाग की नींद अब तक क्यों नहीं टूटी। स्वास्थ्य विभाग अभिलंब प्राइवेट अस्पतालों में भी कोरोनावायरस अस्पतालों की सूची जारी करें जिससे लोगों को राहत मिले।