भारत और इजराइल ने कृषि क्षेत्र में लगातार वृद्धि कर रही साझेदारी के लक्ष्य को मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की है। जिसके तहत दोनों देशों की सरकारों ने कृषि सहयोग में विकास के लिए अगले तीन साल के कार्य योजना समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय साझेदारी की पुष्टि करते हुए द्विपक्षीय संबंधों में कृषि और जल क्षेत्रों की प्रमुखता को मान्यता दी गई है। भारत और इजरायल “भारत-इजरायल कृषि परियोजना उत्कृष्टता केंद्र” और “भारत-इजराइल उत्कृष्टता गांवों” को लागू कर रहे हैं।
इस कार्य योजना का उद्देश्य मौजूदा उत्कृष्टता केंद्रों को विकसित करना, नए केंद्र स्थापित करना, सीओई की मूल्य श्रृंखला को बढ़ाना, उत्कृष्टता केंद्रों को आत्मनिर्भर मोड में लाना और निजी क्षेत्र की कंपनियों और सहयोग को प्रोत्साहित करना है।
किसानों की आय बढ़ाने के संकल्प को पूरा करेगी यह योजना
इस विषय में जानकारी देते हुए कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कृषि क्षेत्र हमेशा भारत के लिए प्राथमिकता वाला क्षेत्र रहा है। किसानों की आय बढ़ाना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संकल्प है। भारत और इजरायल के बीच 1993 से कृषि क्षेत्र में द्विपक्षीय संबंध हैं। यह पांचवां आईआईएपी है। यह नयी कार्य योजना कृषि क्षेत्र में कृषक समुदाय के लाभ के लिए दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों और आपसी सहयोग को और मजबूत करेगी।
भारत-इजरायल कृषि परियोजना उत्कृष्टता केंद्र
भारत-इजरायल कृषि परियोजना उत्कृष्टता केंद्र एक प्रकार से कृषि केंद्र हैं। जिनका प्रमुख कार्य नवीनतम कृषि तकनीकों के बारे में किसानों को प्रशिक्षित करना है। साथ ही साथ इसका लक्ष्य भारतीय परिपेक्ष्य में कृषि/फल/सब्जी के उत्पादन को बढ़ाना भी है। इसके तहत नए फलोद्यानों की स्थापना, सब्जी क्षेत्र का विस्तार, पुष्प एवं मसाला क्षेत्रों का विस्तार और संरक्षित खेती करना है। प्रत्येक वर्ष ये उत्कृष्टता केंद्र 25 मिलियन से अधिक गुणवत्ता वाली सब्जी के पौधे, 387 हजार से अधिक गुणवत्ता वाले फलों के पौधों का उत्पादन करते हैं और 1.2 लाख से अधिक किसानों को बागवानी के क्षेत्र से जुड़ीं नवीनतम तकनीक के बारे में प्रशिक्षित करते हैं।
देश के 12 राज्यों में 29 परिचालन केंद्र कर रहे हैं काम
भारत के 12 राज्यों में फिलहाल कुल 29 परिचालन केंद्र हैं, जो स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार इजरायली कृषि-प्रौद्योगिकी के साथ प्रगतिशील-सघन खेती-बाडी को लागू करते हैं। इन केंद्रों का निर्माण चार अलग-अलग फेजों में किया गया है। इसके तहत फेज-1 (2008 से 2010 तक) में कुल पांच केंद्र, फेज-2 (2012 से 2015 तक) में कुल 22 केंद्र, फेज-3 (2015 से 2018 तक) में कुल 3 केंद्र (2 निर्मित, 1 निर्माणाधीन) और फेज-4 (2018 से 2020 तक) में कुल 4 केंद्रों (सभी निर्माणाधीन) का निर्माण किया गया है।
भारत-इजराइल उत्कृष्टता केंद्रों से जुड़ा पूरा विवरण यहाँ पढ़ें
क्या है भारत-इजरायल उत्कृष्टता गांव?
भारत-इजरायल उत्कृष्टता गांव एक नई अवधारणा है, जिसका लक्ष्य आठ राज्यों में कृषि में एक आदर्श पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करना है।भारत के 12 राज्यों के 75 गांवों में 13 उत्कृष्टता केंद्र शामिल हैं। बताना चाहेंगे कि यह कार्यक्रम किसानों की शुद्ध आय में वृद्धि को बढ़ावा देते हुए पारंपरिक खेतों को आईआईएपी मानकों के आधार पर आधुनिक-प्रगतिशील कृषि क्षेत्र में बदल देगा। इस कार्यक्रम के तहत आधुनिक कृषि अवसंरचना, क्षमता निर्माण और बाजार से जुड़ाव पर मुख्य रूप से ध्यान दिया जाएगा, जिससे किसानों की आजीविका बेहतर होगी।
संरक्षित खेती क्या है?
संरक्षित खेती में एक नियंत्रित वातावरण में फसलों की खेती की जाती है। इसमें कीट अवरोधी नेट हाउस, प्लास्टिक लो-हाई टनल, ग्रीन हाउस और ड्रिप इरीगेशन का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें किसानों को ऐसी तकनीक के इस्तेमाल की जानकारी मिलती है, जिससे जलवायु परिवर्तन के बावजूद फसल उत्पादन पर कोई असर न पड़े।
इस कार्य योजना समझौता समारोह में केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला और कैलाश चौधरी के साथ-साथ इजरायल के विदेश मंत्रालय, भारत सरकार के विदेश मंत्रालय और कृषि और किसान कल्याण, भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।