नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने देश की प्रतिनिधि सभा को भंग करते हुए मध्यावधि चुनावों की घोषणा कर दी है। इसी के साथ नेपाल में कुछ दिनों से चल रहे राजनीतिक संकट के बीच नेपाल में विपक्षी दलों की सरकार बनाने की कोशिशों को झटका लगा है। नये चुनाव 12 और 19 नवंबर को होंगे।
शेर बहादुर देउबा और के.पी.शर्मा ओली का दावा खारिज
दरअसल, शुक्रवार को प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली और विपक्षी दलों ने अपने समर्थक सांसदों के हस्ताक्षर वाले पत्र सौंपकर नई सरकार बनाने का दावा पेश किया था। नेपाल के विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली सरकार की जगह अपने दावों को मजबूती देने के लिहाज से आगे की रणनीति तय करने के लिए शुक्रवार को ही बैठक की थी।
नेपाल के राष्ट्रपति कार्यालय के मुताबिक,’ राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री पद के लिए शेर बहादुर देउबा और के.पी.शर्मा ओली, दोनों के ही दावों को खारिज कर दिया है।’ इसके बाद राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने प्रतिनिधि सभा भंग कर दी है।
संसद में प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली विश्वास मत हारे
इसके पहले दरअसल, 10 मई को संसद में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली विश्वास मत हार गए थे। प्रतिनिधि सभा के विशेष सत्र में प्रधानमंत्री ओली की ओर से पेश किये गए विश्वास प्रस्ताव के समर्थन में उनकी पार्टी को कुल 93 मत मिले, जबकि 124 सदस्यों ने इसके खिलाफ मत दिया। इसके बाद नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने सभी दलों से बहुमत का दावा करने का आह्वान किया। इसके साथ ही उन्होंने ओली को प्रधानमंत्री बने रहने के लिए 30 दिन के अंदर बहुमत साबित करने को कहा।
ओली ने संसद में अपनी सरकार का बहुमत साबित करने के लिए एक और शक्ति परीक्षण से गुजरने में असमर्थता जता दी थी। एक दिन पहले ही नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने देश के राजनीतिक दलों से नयी सरकार बनाने का दावा पेश करने को कहा था। अब इन दोनों विकल्पों में से किसी के भी ठोस आकार नहीं लेने की स्थिति में नये चुनाव की घोषणा हो गयी है।
बता दें कि नेपाल में राजनीतिक संकट वहां के सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट गठबंधन में दरार के बाद शुरू हुआ था।