नेपाल की राजनीति में एक बार फिर तनाव बढ़ता नजर आ रहा है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अचानक मंत्रियों की आपात बैठक बुलाई है। नेपाल में एक बार फिर सियासी संग्राम बढ़ता नजर आ रहा है। पार्टी के अंदर से ही विरोध झेल रहे नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने रविवार को अचानक मंत्रिमंडल की बैठक में संसद के मौजूदा सदन को भंग करने का फैसला किया है।
ऊर्जा मंत्री बारसमन पुन के अनुसार मंत्री समूह ने राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी से संसद को भंग करने की सिफारिश की है। नेपाल के संविधान में सदन को भंग करने के लिए कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे में विपक्ष ओली सरकार के इस फैसले के खिलाफ अदालत दरवाजा खटखटा सकता है। अब देखने वाली बात यह है कि क्या नेपाल की राष्ट्रपति ओली सरकार के इस असवैंधानिक सलाह पर क्या फैसला सुनाती हैं।
इससे पहले ओली द्वारा लाए गए संवैधानिक परिषद अधिनियम से संबंधित एक अध्यादेश को राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने मंगलवार को मंजूरी दे दी थी, जिसे वापस लेने का ओली पर दबाव था। ओली ने रविवार सुबह 10 बजे कैबिनेट की आपात बैठक बुलाई थी। माना जा रहा था कि इसमें ओली सरकार संवैधानिक परिषद अधिनियम (कार्य, कर्तव्य और प्रक्रिया), 2010 में संशोधन को वापस लेने की सिफारिश करेगी, लेकिन इसके बजाय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रपति से संसद को भंग करने की सिफारिश कर दी।
वहीं,ओली के खुद की नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी ने कैबिनेट के इस फैसले का विरोध किया है। सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के प्रवक्ता नारायणजी श्रेष्ठ ने कहा है कि यह निर्णय जल्दबाजी में किया गया है क्योंकि आज सुबह कैबिनेट की बैठक में सभी मंत्री उपस्थित नहीं थे। यह लोकतांत्रिक मानदंडों के खिलाफ है और राष्ट्र को पीछे ले जाएगा। इसे लागू नहीं किया जा सकता।