पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने रविवार को करगिल युद्ध को लेकर कुछ दावे किए। उनके दावों से जहां एक तरफ पाकिस्तान में सियासी पारा चढ़ने के आसार है, वहीं, इंटरनैशनल लेवल पर पाकिस्तान की फजीहत होने की भी पूरी संभावना है। शरीफ ने दावा किया कि करगिल युद्ध में सैनिकों के पास हथियार नहीं थे , मगर कुछ जनरलों ने युद्ध में झोंक दिया। बता दें कि करगिल युद्ध के दौरान नवाज शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री थे।
1999 के भारत पाकिस्तानी युद्ध के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे नवाज शरीफ ने कहा, ‘करगिल में हमारे सैकड़ों सैनिकों की मौत के लिए कुछ जनरल जिम्मेदार थे। उन्होंने ही हमें युद्ध में ढकेला था। मेरे लिए यह जानना दुखद है कि जब हमारे सैनिक चोटियों पर थे उनके पास भोजन और हथियार नहीं थे… उसके बाद भी उन्होंने अपने जीवन का बलिदान दिया लेकिन इससे देश या समाज ने क्या हासिल किया।’ उन्होंने कहा, इसके पीछे कुछ किरदार शामिल थे, जिन्होंने खुद को बचाने के लिए सेना और देश को युद्ध की आग में झोंक दिया। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री शरीफ ने क्वेटा में विपक्षी दलों के तीसरे सबसे बड़े सरकार विरोधी जलसे के दौरान ये बातें कहीं।
शरीफ ने यह भी कहा कि ‘करगिल के पीछे वही ताकतें और चेहरे थे, जिन्होंने 12 अक्टूबर 1999 को देश में तख्तापलट की साजिश रची थी और मार्शल लॉ घोषित किया था। परवेज मुशर्रफ और उनके साथियों ने निजी लाभ के लिए सेना का इस्तेमाल किया था।’ नवाज शरीफ ने तत्कालीन सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ पर इशारों में हमला करते हुए कहा है कि करगिल में हमाारे सैकड़ों जवानों को शहीद करवाने और पाकिस्तान को दुनिया में रुसवा कराने का फैसला फौज का नहीं था, चंद जनरलों का था, जिन्होंने फौज को ही नहीं देश और कॉम को ऐसी जंग में झोंक दिया, जिसमें कोई फायदा नहीं हो सका।
लगभग 3 महीने चला यह निर्णायक युद्ध भारत की जीत के साथ खत्म हुआ था। भारतीय सेना ने तत्कालीन राज्य जम्मू और कश्मीर से उस करगिल क्षेत्र को सफलतापूर्वक खाली कराया था, जिस पर पाकिस्तानी सेना ने कब्जा करने का प्रयास किया था।
उन्होंने पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी आईएसआई के जनरल फैज हमीद को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, ‘जनरल बाजवा ने 2018 के पाकिस्तानी चुनावों का जनादेश चुराया … उन्होंने इमरान नियाजी को पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनाया जो जनादेश के खिलाफ है।’ यह दूसरी बार है जब तीन बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रह चुके शरीफ ने सार्वजनिक रूप से देश के शक्तिशाली सेना प्रमुख का नाम इस तरह लिया है, जैसा पिछले 70 सालों में किसी भी नेता ने नहीं किया।