आज जानते है नवजात बच्चे के बारे में
• कुल नवजात मौतों में 23% मृत्यु बर्थ एस्फिक्सिया से
• लगभग 75% नवजातों की मृत्यु होती है पहले सप्ताह में
• बर्थ एस्फिक्सिया से नवजात हो सकता है शारीरिक एवं मानसिक अपंग
पटना/ 14 जनवरी: जन्म का पहला घंटा नवजात के लिए महत्वपूर्ण होता है. जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी से दम घुटने से बच्चे को गंभीर स्वास्थ्य समस्या हो सकती है. गंभीर हालातों में बच्चे की जान भी जा सकती है. जिसे चिकित्सकीय भाषा में बर्थ एस्फिक्सिया कहा जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व भर में कुल नवजातों की मौतों में 23% मृत्यु सिर्फ बर्थ एस्फिक्सिया से होती है. इसलिए गृह प्रसव की जगह संस्थागत प्रसव की सलाह दी जाती है ताकि बर्थ एस्फिक्सिया की स्थिति में विशेषज्ञ चिकित्सकों की देखरेख में नवजात को उचित ईलाज प्रदान करायी जा सके.
माता की स्वास्थ्य जटिलता भी बन सकती है कारण:
स्टेट रिसोर्स यूनिट के बाल स्वास्थ्य टीम लीड डॉ. पंकज मिश्रा ने बताया बर्थ एस्फिक्सिया से नवजात में ऑक्सीजन की अचानक कमी हो जाती है. जिससे बच्चा सही तरीके से साँस नहीं ले पाता है. सही समय पर नवजात को उचित देखभाल नहीं मिलने पर इससे नवजात की जान भी जाने का ख़तरा रहता है. उन्होंने बताया बर्थ एस्फिक्सिया के कई कारण हो सकते हैं. जिसमें प्रसव के बाद नवजात की स्वास्थ्य जटिलता के साथ प्रसव के दौरान माता की स्वास्थ्य जटिलता भी कारण बन सकती है. प्रसव के लिए ऑक्सीटोसिन का अवांछित उपयोग एक महत्वपूर्ण कारण है. माँ से प्लेसेंटा में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं होने से भी बर्थ एस्फिक्सिया की संभावना रहती है. माँ का एनीमिक होना, मातृ संक्रमण, उच्च रक्तचाप एवं मधुमेह जैसी समस्याएँ माँ से प्लेसेंटा में ऑक्सीजन की सप्लाई को बाधित करता है.
बर्थ एस्फिक्सिया से नवजात को हो सकते हैं ये ख़तरे:
• मानसिक अपंगता
• मानसिक विकास में देरी
• मंदबुद्धि का होना
• शारीरिक अपंगता
• गंभीर हालातों में नवजात की मृत्यु
बचाव को अपनाये ये तरीके:
जन्म के तुरंत बाद नवजात को गहन देखभाल की जरूरत होती है. जन्म के बाद यदि बच्चा रोता है तब भी उन्हें नियमित देखभाल दें.
नियमित देखभाल
• गर्भनाल को सूखा रखें
• नवजात को गर्मी प्रदान करने के लिए माँ की छाती से चिपकाकर रखें
• कमरे में शुद्ध हवा आने दें
• 1 घंटे के भीतर स्तनपान शुरू करायें
यदि बच्चा नहीं रोता है. तब सावधान हो जायें. ऐसी स्थिति में बर्थ एस्फिक्सिया का ख़तरा बढ़ जाता है. इस स्थिति में यह करें:
• पुनर्जीवन( रिससटेशन) की प्रक्रिया करें
• छाती पर हल्का दबाब दें
• तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें या नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में नवजात को भर्ती करें
यह नहीं करें:
• गृह प्रसव कभी नहीं करायें
• दाई या स्थानीय चिकित्सकों की राय पर प्रसव पूर्व गर्भवती माता को ऑक्सीटोसिन का इंजेक्शन नहीं दिलाएं
• जन्म के बाद शिशु के गर्भ नाल पर तेल या किसी भी तरल पदार्थ का इस्तेमाल नहीं करें
क्या आप जानते हैं:
• विश्व भर में लगभग 75% नवजातों की मृत्यु जन्म के पहले सप्ताह में हो जाती है(विश्व स्वास्थ्य संगठन)
• बिहार में प्रति 1000 जीवित जन्म में 28 नवजातों की मृत्यु हो जाती है( सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे-2017)
• बिहार में 63.8 प्रतिशत ही संस्थागत प्रसव होता है( राष्ट्रीय स्वास्थ्य परिवार सर्वेक्षण-(2015-16)