मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का आज निधन हो गया. लखनऊ स्थित मेदांता अस्पताल में उन्होंने सुबह साढ़े 5 बजे अंतिम सांस ली. इस बात की जानकारी उनके बेटे अशुतोष टंडन ने ट्वीट कर दी है.
लालजी टंडन पिछले महीने से बीमार चल रहे थे. अस्पताल में एडमिट होने के बाद तबीयत में सुधार की ख़बरें आ रहीं थीं. बीते कुछ ही दिनों में लालजी टंडन की तबीयत बेहद नाजुक हो गई थी. उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था. आज दुखद खबर मिल रही है कि राज्यपाल लालजी टंडन नहीं रहे.
आपको बता दें कि उनकी किडनी के साथ-साथ लिवर फंक्शन भी गड़बड़ा गया था. लालजी टंडन को 11 जून को लखनऊ स्थित अस्पताल में भर्ती कराया गया था. कल रात से ही उनकी हालात नाजुक हो गई थी.
लालजी टंडन को उत्तर प्रदेश की राजनीति में कई अहम प्रयोगों के लिए भी जाना जाता है. 90 के दशक में प्रदेश में भाजपा और बसपा की गठबंधन सरकार बनाने में भी उनका अहम योगदान माना जाता है. 1978 से 1984 तक और 1990 से 96 तक लालजी टंडन दो बार उत्तर प्रदेश विधानपरिषद के सदस्य रहे. इस दौरान 1991-92 की उत्तर प्रदेश सरकार में वह मंत्री भी रहे. इसके बाद लालजी 1996 से 2009 तक लगातार तीन बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे. 1997 में वह नगर विकास मंत्री रहे.
साल 2009 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के राजनीति से दूर होने के बाद लखनऊ लोकसभा सीट खाली हो गई. इसके बाद भाजपा ने लालजी टंडन को ही यह सीट सौंपी.लोकसभा चुनाव में लालजी टंडन ने लखनऊ लोकसभा सीट से आसानी से जीत हासिल की और संसद पहुंचे. लालजी टंडन को साल 2018 में बिहार के राज्यपाल की जिम्मेदारी सौंपी गई थी और बीते साल ही मध्यप्रेदश का राज्यपाल बने थे.