राजधानी पटना के मोकामा में किसी वजह से बन्दर की मृत्यु हो गई, जिससे पूरा गाँव भावुक हो उठा। गांव वालों ने उसकी बॉडी को वन विभाग को देने के बजाए, उसका विधि-विधान से अंतिम संस्कार किया।
आपको बता दें कि पिछले दिनों झुंड से निकलकर लंगूर प्रजाति का बंदर मोकामा नगरपरिषद क्षेत्र के मोकामा घाट पहुंचा जहां लगभग एक सप्ताह तक अपना कही न कही ठिकाना बनाता रहा, जिससे बच्चों का मनोंरजन तो होता ही था लेकिन बन्दर कभी कुछ लोगों को नुकसान भी पहुंचा देता था। उनकी स्वाभाविक प्रवृत्ति रूप मानकर कुछ लोग इग्नोर कर देते थे तो कुछ लोग लाठी और पत्थर बरसाते थे ।
बंदर एक – दो दिनों गाँव के ही एक बन्द झोपड़ी में छिपा था । आस पास के लोग किसी तरह बन्दर तक भोजन पहुंचा देते थे लेकिन अचानक से बुधवार की सुबह बन्दर को मृत देखा गया ।
बन्दर के उत्पात की जानकारी नगरपरिषद को भी दी गई पर इस पर कोई ऐक्शन नहीं लिया गया था ।
ग्रामीणों के द्वारा बंदर को हनुमान का स्वरूप मानते हुए पहले पूजा अर्चना की। उसके बाद पारंपरिक रीति-रिवाज से बंदर की शव यात्रा निकाली गई।
अर्थी को सफेद रंग के कफन से ढंका गया। शव यात्रा के दौरान ग्रामीण साथ चलते और ढोल – बाजे भी साथ – साथ चलते उसके बाद मोकामा घाट के गंगा किनारे बन्दर अंतिम संस्कार किया गया ।
चंदा मांग कर किया गया अंतिम संस्कार
दरअसल, लोग बंदरों को हनुमान जी का रूप मानते हैं और उनसे आध्यात्मिक जुड़़ाव महसूस करते हैं।ग्रामीणों ने बताया कि गांव में पहली बार किसी बंदर की मृत्यु हुई है, जिससे पूरा गांव भाभूक हो गया है।