मॉडल तूलिका सिंह अब छोटे -बड़े पर्दे पर आने की तैयारी में

लगातार मॉडलिंग करती रही तूलिका सिंह अब स्क्रिन पर धमाल मचाने को तैयार हैं। रौशन तनेजा की एक्टिंग इंस्टिच्यूट से अभिनय में डिप्लोमा कर चुकी तूलिका पिछले दो वर्षों से लगातार प्रिट मॉडलिंग करती रही हैं। अब वो अपना रूख स्क्रिन की ओर कर रही हैं।

तुलिका सिंह ने जब अभिनय का डिप्लोमा पूरा किया तब हिन्दुस्तान में कोरोना अपना पैर फैला चुका था। तब फिल्म की प्लानिंग और शूटिंग सभी स्थगित हो चुके थे। फिल्म और सीरियल का बाजार मंदा पड़ चुका था। ऐसे में तुलिका ने अपने लिए प्रिट मॉडलिंग का विकल्प चुना।
इस क्रम में तूलिका सिंह ने दिल्ली के शाहपुर जट इलाके के अधिकतर डिजायनरों के लिए मॉडलिंग किया। इसके अतिरिक्त मशहूर डिजायनर प्रीति गोयल, पारूल, कावेरी क्यूटरे, रसिक बाई रजत, नेहा खुल्लर, अलजाडू सहित लगभग 40 और कंपनियों और डिजायनरों के कपड़ों खास कर एथेनिक वियर और ज्वेलरी के लिए वह मॉडलिंग कर चुकी हैं।

इसके पहले तूलिका सिंह 2017 में दिल्ली में मिस मार्बल मॉडल का खिताब जीत चुकी हैं। साथ ही मिस इंडिया एलिट रूबरू 2018 में मिस फोटोजेनिक का अवार्ड भी इनके हिस्से आ चुका है। इस बीच इन्होंने कुछ पंजाबी म्यूजिक एलबम में भी काम किया है।

इन सबके साथ तूलिका सिंह को 2020 में एक हिन्दी फिल्मों में लीड भूमिका में काम करने का मौका भी मिला। फिल्म का नाम था ख्वाब सारे झूठे। फिल्म बनी भी रिलीज्ड भी हुई लेकिन दुर्भाग्य से वह चल नहीं पाई और फिल्म ख्वाब सारे झूठे गुमनामी में खो गई।

तुलिका कहती हैं कि इसका खामियाजा फिल्म की पूरी टीम को भुगतना पड़ा और दूसरा काम मिलने में टीम के लोगों को परेशानी हुई। फिल्म की असफलता को लेकर तूलिका कहती हैं शायद इसकी वजह है कि इस फिल्म में अधिकत्तर लोग तब नए थे। शायद लोगों में प्रोफेशनल दक्षता का अभाव रहा हो। इसी के साथ तूलिका कहती हैं उस फिल्म से हम सबने बहुत कुछ सीखा। आगे शायद वो गलतियां न हो। अब मैं नए सिरे से अपने लिए फिल्म और टीवी के क्षेत्र में काम तलाश रही हूं।

यह पुछने पर कि काम की तलाश में कितनी सफलता मिली अबतक, वो कहती हैं फिल्म में तो संघर्ष और तलाश अभी जारी है। लेकिन एक दो सीरियल और ओटीटी के लिए बातचीत हो रही है फाइनल होते ही आप सबको बताउंगी। कैसा रोल चाहती हैं आप जैसे सवाल के जवाब में कहती हैं रोल कोई भी हो मुझे परहेज नहीं, लेकिन उसमें अभिनय प्रतिभा दिखाने का स्कोप जरूर होना चाहिए। रोल छोटा हो या बड़ा, मेरे लिए इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।

तुलिका कहती हैं कि ओटीटी भी एक बेहतर प्लेटफार्म बनकर उभरा है। मैं वहां भी अपने लिए संभावना तलाश रही हूं। इसके साथ दक्षिण में भी ढेर सारी संभावनाएं हैं। वहां भी मेरी कोशिश जारी है।

तूलिका सिंह की शिक्षा दीक्षा कोलकाता में हुई। फिर कुछ दिनों तक दिल्ली में रहने के बाद मुंबई की ओर रूख किया। तुलिका आशान्वित हैं अपने कैरियर को लेकर। वो कहती हैं कि संघर्ष से ही सफलता मिलती है। मुझे भी मिलेगी ही।

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