सामाजिक कार्यकर्ता रजनीकांत पाठक ने मिथिला मखान ज्योग्राफ़िकल इंडिकेशन (GI Tag) हेतु बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, देश के गृह मंत्री अमित शाह सहित कृषि मंत्री व उद्योग मंत्री को मखान व पत्र भेजकर मिथिला मखान के नाम से GI tag की मांग रखी है। रजनीकांत पाठक ने कहा है कि जब मगही पान, सिलाव खाजा, जर्दालु आम आदि का GI tag स्थानीय और भौगोलिक स्थिति पर मिल सकता है तो मिथिला के संस्कृति में रचा-बसा मिथिला मखान का बिहार मखान के नाम पर tag क्यों?????
यह सर्वविदित है कि बिहार की मिठाइयों में सिलाव का खाजा पहली मिठाई है, जिसे भारत सरकार की एजेंसी ने जीआई टैग की मान्यता दी है।भारत सरकार ने नवादा के मगही पान को जीआई टैग (ज्योग्राफिकल इंडिकेशन) दिया है। केंद्र सरकार ने अपने जीआई जर्नल में भागलपुर के कतरनी चावल, जर्दालु आम और मगही पान को राज्य के बौद्धिक संपदा अधिकार के तहत रखा है।
सामान्य रूप से भौगोलिक संकेत या Geographical Indication का अर्थ निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में कृषि, प्राकृतिक या तैयार किए गए उत्पाद से है। किसी उत्पाद को GI TAG प्राप्त करने के लिए उसका संबंधित क्षेत्र में उत्पादन या निर्माण या प्रसंस्करण होना आवश्यक है। भौगोलिक संकेत या भौगोलिक नाम एक विलक्षणता प्रदान करता है और गुणवत्ता का आश्वासन देता है। पंजीकृत भारतीय भौगोलिक संकेतों के कुछ उदाहरण हैं – दार्जिलिंग-चाय, तिरुपति-लड्डू, कांगड़ा-पेंटिंग, नागपुर-संतरा, कश्मीर-पाश्मीना आदि। और भी सरल शब्दों में समझें तो जीआई टैग या भौगोलिक संकेत एक प्रकार का मुहर है जो किसी भी उत्पाद के लिए प्रदान किया जाता है। इस मुहर के प्राप्त होने के जाने के बाद पूरी दुनिया में उस उत्पाद को महत्व प्राप्त हो जाता है साथ ही उस क्षेत्र को सामूहिक रूप से इसके उत्पादन का एकाधिकार प्राप्त हो जाता है। लेकिन इसके लिए शर्त है की उस उत्पाद का उत्पादन या प्रोसेसिंग उसी क्षेत्र में होना चाहिए जहाँ के लिए गई टैग (GI Tag) लिया जाना है।
मिथिला के पहचान के साथ इस प्रकार के खेल को बर्दाश्त नही किया जाएगा। कोविड व कोरोना संक्रमण के कारण हमलोग डिजिटल स्तर से मिथिला मखान के GI tag के लिये लड़ाई लड़ रहे हैं। मिथिलांचल के सम्मानीय जनप्रतिनिधि द्वारा भी पत्र लिख कर समर्थन किया जा रहा है।दर्जनों सम्मानित विधायक व विधान परिषद सदस्यों ने भी GI tag मिथिला मखान रखने की मांग की है। आज रजनीकांत पाठक ने बिहार सरकार के मुख्यमंत्री, बिहार के कृषि मंत्री, देश के गृह मंत्री आदि को पत्र लिख कर हस्तक्षेप हेतु आग्रह कर रहे हैं। साथ ही पत्र के साथ मिथिला मखान भी भेज रहे हैं।