मेगा फूड पार्क योजना ‘आत्मनिर्भर भारत’ विजन के तहत चलाए जा रहे महत्वपूर्ण योजनाओं में से एक है। केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री पशुपति कुमार पारस ने 17 अगस्त को मंत्रालय का व्यापक दौरा किया तथा वरिष्ठ अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ बातचीत की। उन्होंने बताया कि देश में 19 मेगा फूड पार्कों को जल्द पूरा किये जाने के प्रयास जारी हैं, जो कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। उन्होंने कहा कि इस स्कीम का मुख्य उद्देश्य खेत से बाजार तक मूल्य श्रृंखला के साथ-साथ खाद्य प्रसंस्करण के लिए आधुनिक बुनियादी ढांचागत सुविधाएं उपलब्ध कराना है।
“क्लस्टर” दृष्टिकोण पर आधारित है मेगा फूड पार्क योजना
मेगा फूड पार्क योजना “क्लस्टर” दृष्टिकोण पर आधारित है। एक मेगा फूड पार्क में आमतौर पर संग्रह केंद्र, प्राथमिक प्रसंस्करण केंद्र, केंद्रीय प्रसंस्करण केंद्र, कोल्ड चेन और उद्यमियों के लिये खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना हेतु लगभग 25-30 पूर्ण विकसित भूखंड होते हैं। केंद्र सरकार प्रति मेगा फूड पार्क परियोजना के लिये 50 करोड़ रुपए तक की वित्तीय सहायता प्रदान करती है। यह परियोजना एक विशेष प्रयोजन साधन द्वारा कार्यान्वित की जाती है जो कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत पंजीकृत एक निगमित निकाय है।
38 मेगा फूड पार्कों के लिए दी गई थी मंजूरी
केंद्र सरकार ने देश में 38 मेगा फूड पार्कों को अंतिम अनुमोदन तथा 3 मेगा फूड पार्कों को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी है। इनमें से 22 मेगा फूड पार्क परियोजनाओं को परिचालनगत बनाया जा चुका है। उन्होंने मंत्रालय के व्यापक दौरे तथा वरिष्ठ अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ परस्पर बातचीत करने के बाद मीडिया को संबोधित किया। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग सचिव सुश्री पुष्पा सुब्रह्मण्यम औपचारिक दौरे तथा परस्पर बातचीत के दौरान मंत्री उपस्थित थीं।
पूर्वोत्तर क्षेत्र तथा उत्तर बिहार में मिनी फूड पार्कों की विशाल संभावना
भारत सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए मंत्रालय द्वारा चिन्हित आम, केला, सेब, अननास, फूलगोभी, बीन्स आदि जैसे 22 शीघ्र नष्ट होने वाली वस्तुओं में मूल्यवर्धन को बढ़ावा देने के प्रयास कर रही है। सरकार ने 2021-22 के लिए बजट भाषण में ‘ऑपरेशन ग्रीन्स स्कीम’ के दायरे को टमाटर, प्याज एवं आलू (टीओपी) से बढ़ाकर 22 शीघ्र नष्ट होने वाली वस्तुओं तक बढ़ाने की घोषणा की थी। केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री के अनुसार पूर्वोत्तर क्षेत्र तथा उत्तर बिहार में मिनी फूड पार्कों की विशाल संभावना है।
लोगों को मिलेगा रोजगार
बिहार देश के कृषि में अग्रणी राज्यों में से एक है। वहां के लीची, मखाना और केले पूरे भारत में प्रसिद्ध हैं। इन फूड पार्कों के द्वारा वहां के लोगों को रोजगार मिलेगा। इस महीने की 20 तारीख को केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री पशुपति कुमार पारस बिहार का दौरा करेंगे और बिहार के खगड़िया जिले के मानसी में मेगा फूड पार्क, जिसका निर्माण कार्य 70 प्रतिशत पूरा हो चुका है, का आकलन करेंगे। वह इस वर्ष अप्रैल में केन्द्र द्वारा अनुमोदित मुजफ्फरपुर जिले के मोतीपुर प्रखंड में मेगा फूड पार्क की प्रगति का आकलन करने के लिए बिहार के उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन से भी मुलाकात करेंगे।
राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान विधेयक, 2021
हाल ही में सम्पन्न सत्र में संसद द्वारा पारित होने के बाद राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान विधेयक, 2021 अधिसूचित कर दिया गया है। इसी के साथ खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान (एनआईएफटीईएम), कुंडली (हरियाणा) तथा भारतीय खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईएफपीटी), तंजावुर (तमिलनाडु) राष्ट्रीय महत्व के संस्थान (आईएनआई) बन गए हैं। इस पहल से इन संस्थानों को अधिक स्वायत्ता मिलेगी, जिससे कि वे नये और नवोन्मेषी पाठ्यक्रम आरंभ कर सकेंगे तथा उत्कृष्ट फैकल्टी और छात्रों को आकर्षित करने में भी उनको मदद मिलेगी।
आत्मनिर्भर भारत में है इन पार्कों की अहम भूमिका
यह भारत सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ विजन के अनुरूप है। इसका उद्देश्य किसानों, प्रसंस्करणकर्त्ता और खुदरा विक्रेताओं को एक साथ लाकर कृषि उत्पादन को बाजार से जोड़ने के लिये एक तंत्र प्रदान करना है ताकि मूल्यवर्द्धन को अधिक, अपव्यय को कम तथा विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्र में किसानों की आय को ज्यादा करके रोजगार के नए अवसर सुनिश्चित किये जा सकें। इन मेगा फूड पार्कों की भविष्य के ‘आत्मनिर्भर भारत’ में अहम भूमिका है। आने वाले दिनों में इन फूड पार्कों की मदद से खाद्य प्रसंस्करण प्रक्रिया काफी सरल हो जाएगी।