अहंकार का भाव नष्ट हो जाना ही मार्दव है

दशलक्षण पर्व के दूसरे दिन वृहस्पतिवार को कदम कुआं स्थित पाटलिपुत्र दिगंबर जैन समिति परिसर में भोपाल से आये पंडित प्रकाश चंद्र जैन शास्त्री ने बताया कि उत्तम मार्दव जिसका अर्थ कोमलता से है या यूं कहा जाय तो हमारे अंदर मधु मधुरता का भाव को कोमलता या विनम्रता अर्थात विनय का भाव आता है, तब हमारे जीवन में माधव आता है।

मन में अहंकार का भाव अर्थात मान कषाय का नष्ट हो जाना ही माधव है। अभी तक हमारा जीवन तरह-तरह के चक्कर में फंस कर अपने जीवन को पतन की ओर ढकेलता जा रहा है।

हम चाहते हैं कि उत्कृष्टता के शिखर को प्राप्त करें। इस महान कार्य के लिए अहंकार को छोड़कर भी नम्रता के आंचल में जाकर बैठना पड़ेगा, तभी हमें सतर्कता का लाभ होगा।

उन्होंने बताया कि उत्तम मार्दव धर्म के व्याख्यान में कहीं विनय के बिना विद्या भी प्राप्त नहीं होती। इसलिए हमें अपने जीवन को विनय शील बनाते हुए धर्म उत्तम माधव को अपने जीवन में अंगीकार करने का प्रयास करना चाहिए।

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