रक्षा बंधन प्रेम का,
हृदय का त्योहार !
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इसमें बसती द्रौपदी,
है कान्हा का प्यार !!
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कहती हमसे राखियाँ,
तुच्छ है सभी स्वार्थ !
बहनों की शुभकामना,
तुमको करे सिद्धार्थ !!
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भाई-बहना नेह के,
रिश्तों के आधार !
इस धागे के सामने,
हीरे हैं बेकार !!
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बहना मूरत प्यार की,
मांगे ये वरदान !
भाई को यश-बल मिले,
लोग करे गुणगान !!
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चिठ्ठी लाई गाँव से,
जब राखी उपहार !
आँसूं छलके आँख से,
देख बहन का प्यार !!
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सब बहनों पर हम करें,
मन से सच्चा गर्व !
होता तब ही मानिये,
रक्षा बंधन पर्व !!
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