लॉक डाउन की अवधि में स्कूल शुल्क के बारे में एसोसिएशन ऑफ इंडिपेंडेंट स्कूल, बिहार के विचार बता रहे हैं अध्यक्ष डॉ सी बी सिंह

लॉकडाउन अवधि के शुल्क के बारे में मैं विद्यालयों का पक्ष आपके समक्ष रखना चाहूँगा। मीडिया द्वारा जो भ्रामक सूचनाएं प्रसारित की जा रही हैं, वे आधारहीन हैं। सरकार द्वारा कोई भी शुल्क माफ़ नहीं किया गया है, हाँ, भुगतान की अवधि को विस्तारित किया गया है। अभिभावक अपनी सुविधा से शुल्क जमा करते रहें, ताकि विद्यालयों की गाड़ी भी चलती रहे, परंतु इस विभीषिका में किसी भी अभिभावक पर कोई दबाव नहीं बनाया जाए, न तो बच्चे को ऑनलाइन कक्षाओं से वंचित किया जाए, न ही किसी भी स्थिति में विद्यालय से निकाला जाए। हर विद्यालय में आधे से अधिक अभिभावक समर्थ हैं और मेरी अपील उन्हीं सक्षम-सम्पन्न-सम्मानित अभिभावकों से है कि वे अपने विद्यालयों के शिक्षकों का स्वाभिमान और आत्मविश्वास बचाने के लिए आगे आएं।

हमने सभी सदस्य विद्यालयों से आग्रह किया है कि कोविड 19 की विपदा के बावज़ूद वे लगभग उतने ही दिन विद्यालय चलाएं, जितना वे अन्य वर्षों में चलाते रहे हैं। CBSE के मानकों के द्वारा 1200 घण्टे / 200 दिवस कक्षाओं का आयोजन अपेक्षित है, जो कि इस वर्ष भी समुचित रूप से पूरा किया जाएगा। इसके लिए छुट्टियों में भारी कटौती होने जा रही है और प्रतिमाह एक रविवार को भी कक्षाएं चलाने की योजना है। इस प्रकार बसों के व्यय में भी कोई कमी नहीं आने वाली है, चाहे वो ट्रांसपोर्ट कर्मियों का वेतन हो, बसों की किश्तें हों या परमिट, बीमा जैसे ख़र्चे हों या डीजल-मोबिल या मरम्मत के व्यय हों।

सभी स्कूलों से मासिक पद्धति से शुल्क लेने को कहा गया है। यह भी निवेदित है कि पूरे वर्ष में कोई पुनः प्रवेश शुल्क या विलम्ब-शुल्क भी न लिया जाए।

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