हल्‍की आईब्रो को घना बनाने माइक्रोब्लैडिंग की ले सकते हैं मदद, इसके बारे में जानें

खूबसूरत भौंहे (Eye Brow) आपके चेहरे को डिफाइन करने में बहुत ही महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. जिन लोगों की भौंहें हल्‍की हैं वे इन्‍हें घनी (Fuller) और भरी भरी बनाने के लिए कई तरह की टेक्नीक का उपयोग करते हैं जिनमें से एक है माइक्रोब्लैडिंग (Microblading) टेक्नीक. दरअसल यह एक ऐसा ब्यूटी ट्रीटमेंट है जिसमें आई ब्रो के उपर कॉस्मेटिक टैटू गोदा जाता है. हालांकि ये टैटू परमानेंट नहीं, केवल तीन साल तक ही रहता है. हेल्‍थशॉट में छपी एक रिपोर्ट में वेस्टलेक डर्मेटोलॉजी क्लिनिकल रिसर्च सेंटर के एक शोध का हवाला देते हुए बताया गया है कि इस तकनीक से भौहें प्राकृतिक रूप से भरी हुई दिखती हैं.

विशेषज्ञ इसे करने के लिए पहले आई ब्रो पर एक सुन्न करने वाली क्रीम लगाते हैं और इसके बाद प्राकृतिक बालों की नकल करते हुए भौं में छोटे चीरे लगाते हैं. इन चीरों में कलर डाई भर दिया जाता है. इससे पहले आपकी त्वचा का प्रकार पिगमेंट के प्रति संवेदनशीलता आदि का एक पैच टेस्ट भी किया जाता है.

1.एस्थेटिक

जिन लोगों की नेचुरल भौहें नहीं हैं उनके लिए यह काफी फायदेमंद हो सकती है. इसके प्रयोग से वे स्‍वाभाविक रूप से भौंहें प्राप्‍त कर सकते हैं वो भी नेचुरल दिखने वाले.

2.स्कैबिंग

कई बार जब इस प्रक्रिया के बाद त्‍वचा हील करने लगती है तो हो सकता है कि त्वचा से एक निश्चित मात्रा में पिगमेंट खो जाए. यह दरअसल स्कैबिंग के बाद होता है. ऐसे मामलों में टच अप की जरूरत पड़ती है.

3.इन्‍फेक्‍शन

आमतौर पर यह समस्‍या नहीं होती लेकिन अगर सुइयों या टूल्‍स के साथ असावधानी बरती गई हो और बेहतर हाइजीन, डिसइनफेक्टर आदि का प्रयोग ना किया गया हो तो स्किन पर इनफेक्‍शन का खतरा होता है. ऐसे में सारी सावधानी बरतते हुए ही इस कॉस्‍मेटिक उपचार को कराएं.

4.इन बातों को ध्‍यान में रखना जरूरी

अगर आप मधुमेह, कैंसर, मिर्गी और ऑटोइम्यून जैसी समस्‍याओं से जूझ रहे हैं तो इस प्रक्रिया से दूर रहें. यही नहीं, रक्तस्राव विकारों, त्वचा विकारों, सोरायसिस और रक्त को पतला करने वाली दवाएं लेने वाले लोगों को भी इस प्रक्रिया से बचना चाहिए.

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