लाल बहादुर शास्त्री: जिनकी एक आवाज़ पर लाखों भारतीयों ने छोड़ दिया था एक वक़्त का खाना लाल बहादुर शास्त्री के शासनकाल में १९६५ में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ। उस समय देश में भयंकर सूखा पड़ा। देश को अनाज के लिए अमरीका या अन्य किसी देश के आगे हाथ न फैलाना पड़े, इसके लिए उन्होंने पीएम पद पर रहते हुए देशवासियों से सप्ताह में एक दिन उपवास रखने की अपील की थी। शास्त्री जी के नेतृत्व पर लोगों को इतना भरोसा था कि पूरा देश सप्ताह में एक दिन उपवास रखने लगा। इसके साथ ही उन्होंने कृषि उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए ‘जय जवान जय किसान’ का नारा भी दिया।
०१- बचपन में ही पिता का साया सिर से उठने की वजह से शास्त्री जी को अपनी मां के साथ नाना के यहां मिर्जापुर जाना पड़ा. मिर्जापुर में ही उन्होंने विषम परिस्थितियों में प्राथमिक शिक्षा हासिल की. लोगों का कहना है कि वे रोजाना नदी को पार करके स्कूल जाते थे. दरअसल, उस समय कम ही गांव में स्कूल होते थे।
०२- काशी विद्यापीठ से संस्कृत की पढ़ाई करने के बाद जब लाल बहादुर शास्त्री जी निकले तो उन्हें ‘शास्त्री’ की उपाधि दी गई. उसके बाद उन्होंने अपने नाम लाल बहादुर के आगे ‘शास्त्री’ लगाना शुरू कर दिया।
०३- १६ साल की उम्र में शास्त्री जी पढ़ाई छोड़कर आजादी के आंदोलन में कूद पड़े और गांधी जी के असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए।
०४- १९२८ में लाल बहादुर शास्त्री जी विवाह ललिता शास्त्री के साथ हुआ था. जिनसे दो बेटियां और चार बेटे हुए।
०५- शास्त्री जी १९२० में ही आजादी की लड़ाई में कूद पड़े थे. १९२१ के असहयोग आंदोलन से लेकर १९४२ तक अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में भी उन्होंने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. आंदोलन के दौरान कई बार उन्हें गिरफ्तार भी किया गया।
०६- शास्त्री जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद १९६५ में भारत और पाकिस्तान बीच युद्ध हुआ. सेना के जवानों और किसानों का महत्व बताने के लिए शास्त्री जी ने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा भी दिया।
०७ – आजादी के बाद शास्त्री जी १९५१ में दिल्ली आ गए और उन्होंने केंद्रीय मंत्रिमंडल के कई विभागों का प्रभार संभाला. उन्होंने रेल मंत्री, परिवहन एवं संचार मंत्री, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, गृह मंत्री का भी प्रभार संभाला।
०८- १९६४ में लाल बहादुर शास्त्री के प्रधानमंत्री के कार्यकाल में १९६५ में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ।
०९- युद्ध की वजह से देश में खाद्यान्न की भारी किल्लत हो गई, वहीं अमेरिका ने भी भारत को होने वाले अनाज एक्सपोर्ट को रोकने की धमकी दे दी, इन हालातों में देश के लिए काफी मुश्किल दौर था, ऐसे में लाल बहादुर शास्त्री ने जनता से अपील की कि लोग हफ्ते में एक दिन का खाना एक वक्त के लिए छोड़ देना चाहिए।
१०- शास्त्री जी ने ११ जनवरी, १९६६ को ताशकंद में अंतिम सांस ली थी. १० जनवरी १९६६ को ताशकंद में पाकिस्तान के साथ शांति समझौते पर करार के महज १२ घंटे बाद (११ जनवरी) लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु हो गई थी।
प्रधानमंत्री बनने के बाद भी लालबहादुर शास्त्री के पास अपनी पर्सनल कार नहीं थी. जब उनके बच्चों ने कहा कि अब आप देश के प्रधानमंत्री हैं, तो हमारे पास अपनी कार होनी चाहिए. उस समय एक नई फिएट कार की कीमत १२,००० रुपये थी और शास्त्रीजी के पास मात्र ०७,००० रुपये थी. परिवार वालों की जिद्द पूरा करने के लिए शास्त्री ने पंजाब नेशनल बैंक से ०५,००० रुपये लोन लेकर कार खरीदी थी.
लाल बहादुर शास्त्री की मौत के बाद पीएनबी शास्त्रीजी का लोन माफ करने को तैयार था, लेकिन उनकी पत्नी ललिता ने मना कर दिया था. इसके बाद शास्त्रीजी की पत्नी ललिता ने अपनी पेंशन से पैसे बचाकर लोन की रकम बैंक को चुकाई थी।