केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीते बुधवार 27 अक्टूबर को कृषि उड़ान 2.0 का शुभारंभ किया। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री के साथ एमओसीए की संयुक्त सचिव उषा पाधी, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव, आईक्लास के सीईओ और फिक्की के महासचिव मौजूद थे। कृषि उड़ान 2.0 का उद्देश्य कृषि-उपज और हवाई परिवहन के बेहतर एकीकरण और अनुकूलन के माध्यम से मूल्य प्राप्ति में सुधार लाने और विभिन्न और गतिशील परिस्थितियों में कृषि-मूल्य श्रृंखला में स्थिरता और लचीलापन लाने में योगदान देना है। इस योजना में हवाई परिवहन द्वारा कृषि-उत्पादों के परिवहन को सुविधाजनक बनाने और प्रोत्साहित करने का प्रस्ताव है।
कृषि क्षेत्र में खुलेंगे विकास के नए द्वार
इस दौरान केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ने कहा, “कृषि उड़ान 2.0 नीति निर्माण के प्रति इस सरकार के सहयोगात्मक दृष्टिकोण का एक उदाहरण है। यह योजना कृषि क्षेत्र के लिए विकास के नए रास्ते खोलेगी और कृषि उपज की आपूर्ति श्रृंखला, लॉजिस्टिक और उसके परिवहन में आने वाली बाधाओं को दूर करके किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगी।” उन्होंने कहा कि हम ए2ए – कृषि से विमानन के मॉडल को अपनाकर अन्नदाता को उच्चतम स्तर पर ले जाना चाहते हैं।
कृषि उड़ान योजना का उन्नत संस्करण भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण की 100 प्रतिशत की हिस्सेदारी वाली सहायक कंपनी ‘आईक्लास’ और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली भारत की राष्ट्रीय निवेश संवर्धन और सुविधा एजेंसी ‘इन्वेस्ट इंडिया’ के सहयोग से तैयार किया गया है। यह मुख्य रूप से पूर्वोत्तर, पहाड़ी और जनजातीय क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के चयनित हवाई अड्डों पर भारतीय मालवाहक और पी2सी विमानों के लिए लैंडिंग, पार्किंग, टीएनएलसी और आरएनएफसी शुल्क की पूर्ण छूट प्रदान करता है।
किसे होगा फायदा ?
कृषि उड़ान 2.0 को देश भर के 53 हवाई अड्डों पर मुख्य रूप से पूर्वोत्तर और आदिवासी क्षेत्रों पर केंद्रित किया जाएगा। इससे किसान, मालवाहकों और एयरलाइन कंपनियों को लाभ होने की संभावना है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय पहले छह महीने के लिए प्रायोगिक आधार पर इस योजना को लागू करने की योजना बना रहा है और फिर अन्य हितधारकों के साथ इसके मूल्यांकन और परामर्श के परिणामों के आधार पर इसमें संबंधित संशोधन किया जाएगा।
कृषि उड़ान 2.0 की मुख्य विशेषताएं:
1) हवाई परिवहन द्वारा कृषि-उत्पादों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाना और उसे प्रोत्साहित करना
2) हब और स्पोक मॉडल और फ्रेट ग्रिड (कार्गो टर्मिनलों के लिए चिन्हित स्थान) के विकास को सुगम बनाना
3) कनवर्जेन्स तंत्र की स्थापना के माध्यम से संसाधन पूलिंग
4) हवाई अड्डों के भीतर और हवाई अड्डों के बाहर माल ढुलाई से संबंधित बुनियादी ढांचे को मजबूत करना
5) ई-कुशल (सतत समग्र कृषि-रसद के लिए कृषि उड़ान) का विकास
6) तकनीकी कनवर्जेन्स
यह है प्रस्तावित समयावधि
इस योजना के तहत अगरतला, श्रीनगर, डिब्रूगढ़, दीमापुर, हुबली, इम्फाल, जोरहाट, लीलाबारी, लखनऊ, सिलचर, तेजपुर, तिरुपति और तूतीकोरिन रूट के लिए वर्ष 2021 – 2022 तक प्रस्तावित समयावधि है, जबकि अहमदाबाद, भावनगर, झारसुगुडा, कोझीकोड, मैसुरु, पुडुचेरी, राजकोट और विजयवाड़ा रूट का काम वर्ष 2022 – 2023 तक पूरा हो जायेगा। आगरा, दरभंगा, गया, ग्वालियर, पाकयोंग, पंतनगर, शिलांग, शिमला, उदयपुर और वडोदरा रूट के लिए वर्ष 2023 – 2024 तक, जबकि होलंगी और सेलम रूट का कार्य वर्ष 2024 – 2025 तक पूरा होने की संभावना है।