नॉलेजग्राम इंटरनेशनल स्कूल बच्चों की प्रतिभा को निखारने के लिये कृतसंकल्पित : डॉ सीबी सिंह 

पटना, 19 मार्च नॉलेजग्राम इंटरनेशनल स्कूल के संस्थापक निदेशक डॉ सीबी सिंह का कहना है कि उनका स्कूल बच्चों की प्रतिभा को निखारने के लिये कृत संकल्पित है और स्कूल में वैज्ञानिक तरीक़े से बच्चों की गुह्य प्रतिभा की पहचान कर उन्की प्रतिभा को निखारने के लिये विश्वस्तरीय तैयारी करायी जाती है।

कंकड़बाग, भूतनाथ रोड अंडरपास (बाईपास) में स्थापित नॉलेजग्राम इंटरनेशनल स्कूल (केजीआईएस)।

स्कूल के संस्थापक निदेशक डॉ सीबी सिंह ने यहां बताया कि उनके स्कूल में कोई भी अपने बच्चे का दाखिला कराकर जीवन भर के लिए निश्चिंत हो सकता है। आपको ये भी पता करने की जरूरत नहीं है कि बच्चे की रुचि किस क्षेत्र में है और वो किस क्षेत्र में करियर बनाए। यहां दाखिला दिलाने के बाद स्कूल की जिम्मेदारी होती है कि वह बच्चों की रूचि का वैज्ञानिक और शोधपरक विधि से पता करे। फिर उसके अनुसार उसको प्रशिक्षित करे। नॉलेजग्राम इंटरनेशनल स्कूल में नाम का ही इंटरनेशनल शब्द ही नहीं लगा है, बल्कि यह विकसित देशों के स्कूलों के मानकों को भी पूरा करता है।

योद्धाओं और शहीदों के बच्चों को यहां मुफ्त में यहां शिक्षा दी जाती है। स्कूल ऐसे बच्चों को वित्तीय मदद भी करता है। वहीं पूर्णकालिक सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, पर्यावरण रक्षकों, रक्तदाताओं, राष्ट्रीय खिलाड़ियों और राजकीय सम्मान पाए लोगों के बच्चों के नामांकन फीस में छूट दी जाती है।

यह विद्यालय वातानुकूलन और अन्य सभी वैश्विक सुविधाओं से युक्त है किन्तु कुछ ऐसी सुविधाएं हैं जो बिहार के किसी भी विद्यालय में प्राप्त नहीं है। जैसे-आगमेंटेड रियलिटी लैब (4डी)। किसी भी वस्तु का ज्ञान प्राप्त कर लेने की यह अनोखी शिक्षण-तकनीक है। इस लैब में बच्चें किसी भी विषय का अध्ययन स्वयं ही सहज रूप से कर सकते हैं। न ट्यूशन का झंझट, न घरेलू तौर-तरीके सिखाने की जरूरत।

बच्चों को किसी भी बड़े-से-बड़े स्कूल में पढ़ाएं, लेकिन उन्हें ट्यूशन कराना ही पड़ता है। ऐसे में बच्चे दोहरे दबाव में होते हैं। लेकिन केजीआईएस में नामांकन कराने के बाद आपको बच्चों को ट्यूशन लगाने की कतई जरूरत नहीं पड़ेगी। बच्चे के लिए हर समय ऑनलाइन सहयोग उपलब्ध है। ऐसी प्रविधि विकसित की गई है कि बच्चे को समस्या आते ही उसे समाधान प्राप्त हो जाता है और अतिरिक्त ट्यूशन की कोई आवश्यकता ही नहीं पड़ती। विद्यालय की प्राचार्या राधिका ने बताया कि इसी तरह व्यक्तित्व विकास, स्पोकेन क्लास, अंग्रेज़ी, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान की बेहतर समझ विकसित करने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन कक्षाएं होतीं हैं। आपको बच्चे को घरेलू तौर-तरीके भी नहीं सिखाने का कार्य भी विद्यालय का उत्तरदायित्व है। स्कूल ने अपने सिलेबस में शामिल किया है कि क्लास एक के बच्चे को कम से कम 10 बेसिक तौर-तरीके आने चाहिए। वहीं वर्ग -12वीं तक यह संख्या 51 हो जाती है। शिक्षक विद्यार्थियों को सिखाएंगे कि घर आए मेहमानों का कैसे अभिभादन और स्वागत करना है, सूर्योदय से पहले उठना है, योग-प्राणायाम को जीवन का भाग बनाना है, घरेलू कामों में भी यथासंभव माता-पिता की मदद करनी है तथा उन्हें भी अभिनव ज्ञान से अवगत कराना है, आसपास के गरीब बच्चों को शिक्षित करना है, आदि। इसी तरह स्कूल का कॅरिकुलम ऐसा बनाया गया है जो प्राकृतिक तत्वों में बच्चों की रुचि बनाए। इससे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता का पूरा विकास होगा और वह बीमारियों का शिकार होने से बच सकेगा।स्कूल में यह भी-

-विद्यालय 51 तरह की स्कॉलरशिप अपने बच्चों को मुहैया करा रहा है। -स्कूल अपने विद्यार्थियों को विभिन्न प्रकार की अंतर्राष्ट्रीय परीक्षाओं के लिए भी तैयार करता है। -फिनलैंड, स्वीजट्जरलैंड, नीदरलैंड, जर्मनी और आस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ एक्सचेंज प्रोग्राम भी स्कूल कराता है।इस प्रकार नॉलेजग्राम देश में अपनी तरह का एक अकेला विद्यालय है जो बच्चों के जीवन-निर्माण की गारंटी देता है।

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