भारत के 150 गांव ”उत्कृष्ट गांव” बनाए जाएंगे। इसके लिए केंद्र सरकार ने संकल्प लिया है। केवल इतना ही नहीं देश की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के उपलक्ष्य में पहले वर्ष में 75 गांवों को ”उत्कृष्ट गांव” बनाने का लक्ष्य भी तय किया गया है। दरअसल, केंद्र सरकार ने इजरायल की तकनीकी सहायता से इस लक्ष्य को पूरा करने का बीड़ा उठाया है। इसके तहत देश में 12 राज्यों के 150 गांवों को ‘उत्कृष्ट गांव’ के रूप में बदलने का फैसला किया गया है। इस संबंध में भारत और इजरायल के बीच कृषि क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति हुई है।
भारत-इजरायल कृषि क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर सहमत
इस संबंध में बीते दिनों केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इजरायल से तकनीकी सहायता से उत्कृष्टता केंद्रों के आसपास के 150 गांवों को उत्कृष्टता गांवों में बदलने का निर्णय लिया गया है, जिनमें से भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के उपलक्ष्य में पहले वर्ष में 75 गांवों को लिया जा रहा है, जहां भारत व इजरायल एक साथ काम करेंगे। कृषि मंत्री ने साथ ही उन विभिन्न योजनाओं पर भी प्रकाश डाला, जो सरकार द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में किसानों के कल्याण के लिए शुरू की गई हैं। इनमें पीएम किसान कृषि अवसंरचना कोष, 10 हजार एफपीओ (FPO) का गठन, जैविक व प्राकृतिक खेती और मृदा स्वास्थ्य कार्ड को बढ़ावा देने की योजनाएं शामिल हैं। आइए अब इन योजनाओं के बारे में जानते हैं…
‘पीएम-किसान’ योजना
याद हो ‘पीएम-किसान’ योजना का शुभारंभ 24 फरवरी 2019 को किया गया था। उस समय योजना की शुरुआत करते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि केंद्र सरकार किसानों को समर्थ और सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। योजना के तहत 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने में उन्हें सक्षम बनाने के उद्देश्य से किसानों को सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने के लिए सरकार कार्यरत है। प्रधानमंत्री मोदी की इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने इजरायल के साथ कृषि क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की है।
पीएम किसान कृषि अवसंरचना कोष
यह कोष ‘कटाई बाद फसल प्रबंधन अवसंरचना’ और ‘सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों’ जैसे कि कोल्ड स्टोरेज, संग्रह केंद्रों, प्रसंस्करण इकाइयों इत्यादि के सृजन को उत्प्रेरित करने का कार्य करता है। ये परिसंपत्तियां किसानों को अपनी उपज के अधिक मूल्य प्राप्त करने में सक्षम बनाती है। दरअसल, इन परिसंपत्तियों की बदौलत ही किसान अपनी उपज का भंडारण करने एवं ऊंचे मूल्यों पर बिक्री करने, बर्बादी को कम करने, और प्रसंस्करण एवं मूल्यवर्धन में वृद्धि करने में समर्थ हो सकते हैं।
10 हजार एफपीओ का गठन
लघु, सीमांत एवं भूमिहीन किसानों को, एफपीओ से जोड़ने से किसानों की आय में वृद्धि करने के लिए उनकी आर्थिक क्षमता एवं बाजार संपर्क बढ़ाने में सहायता मिलेगी। इस बात को ध्यान में रखते हुए ही भारत सरकार ने “10,000 एफपीओ के गठन एवं संवर्धन” नामक स्कीम आरंभ की। याद हो पीएम मोदी ने 29 फरवरी 2020 को चित्रकूट में 6,865 करोड़ रुपए के बजटीय प्रावधान के साथ इस स्कीम का औपचारिक रूप से उद्घाटन किया था।
जैविक व प्राकृतिक खेती
भारत जैविक किसानों की कुल संख्या के मामले में ‘नंबर वन’ है। वहीं जैविक खेती के रकबे की दृष्टि से यह नौवें स्थान पर है। सिक्किम पूरी तरह से जैविक बनने वाला दुनिया का पहला राज्य बन चुका है। यही नहीं, त्रिपुरा एवं उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों ने भी ठीक इसी तरह के लक्ष्य तय किए हैं। भारत निरंतर इस दिशा में आगे बढ़ रहा है खासतौर से उस वक्त जब कोविड महामारी से त्रस्त दुनिया में स्वास्थ्यवर्धक एवं सुरक्षित भोजन की मांग पहले से ही निरंतर बढ़ती जा रही है। यही कारण है कि आज भारत से जैविक निर्यात मुख्यतः अलसी के बीज, तिल, सोयाबीन, चाय, औषधीय पौधों, चावल व दालों का होता है। केंद्र सरकार के प्रयासों से किसानों को खुदरा और थोक खरीदारों से सीधे जोड़ने हेतु जैविक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को मजबूत किया जा रहा है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड
देश के हर खेत की पोषण स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए 19 फरवरी 2015 को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जैसा भारत का अनोखा कार्यक्रम शुरू किया गया था। इस योजना का लक्ष्य देश के किसानों को हर दो साल में मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करना है, ताकि खाद इत्यादि के बारे में मिट्टी पोषण कमियों को दूर किया जा सके। मिट्टी की जांच करने से खेती के खर्च में कमी आती है, क्योंकि जांच के बाद सही मात्रा में उर्वरक दिए जाते हैं। इस तरह उपज के बढ़ने से किसानों की आय में भी इजाफा होता है और बेहतर खेती संभव हो पाती है।
इस प्रकार विभिन्न स्तर पर केंद्र सरकार द्वारा देश के किसानों की मदद की जा रही है। अब इसी क्रम में एक कदम और आगे बढ़ते हुए सरकार ने इजरायल की तकनीकी सहायता से 12 राज्यों के 150 गांवों को ‘उत्कृष्ट गांव’ के रूप में बदलने का लक्ष्य रखा है। ऐसे में यह कहना बिलकुल गलत नहीं होगा कि केंद्र सरकार ने इस दिशा में पहले से ही अपनी कमर कस रखी है। संभवत: आने वाले समय में भारत के कृषि क्षेत्र में और बड़े सुधार होने वाले हैं, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को और अधिक मजबूती मिलेगी।