केंद्र सरकार ने बजट 2020 में किसान रेल चलाने का ऐलान किया था. अब देश के किसान एक राज्य से दूसरे राज्य में किसान रेल के जरिये से फल-सब्जी बेच सकेंगे. सरकार का कहना है कि इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मजबूती आएगी. भारतीय रेल ने शुक्रवार से पायलट प्रोजेक्ट के रूप में किसान रेल की शुरुआत की है. यह ट्रेन महाराष्ट्र के देवलाली से बिहार के दानापुर तक 30 अगस्त तक चलाई जाएगी. दरअसल, केंद्र ने साल 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है. इसी कड़ी में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी में बजट भाषण के दौरान ऐलान किया था कि किसान फल-सब्जी देश के उन शहरों में बेच सकते हैं, जहां उन्हें उसकी अच्छी कीमत मिलेगी. इसके लिए किसान रेल चलाई जाएगी.
ये किसान रेल हर शुक्रवार देवलाली से सुबह 11 बजे चलेगी. ये लगभग 1,500 किलोमीटर की यात्रा करीब 32 घंटों में तय करके अगले दिन शाम 6.45 पर दानापुर पहुंचेगी. ये ट्रेन मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से हो कर गुजरेगी और करीब 14 स्टेशनों पर रुकेगी. इस ट्रेन की खासियत ये है कि हर स्टेशन पर किसान अपना पार्सल चढ़ा सकेंगे और उतार भी सकेंगे. रेलवे मंत्री पीयूष गोयल और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा शुक्रवार को इस ट्रेन को हरी झंडी दिखाई. इस अवसर पर महाराष्ट्र के खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री छगन भुजबल भी उपस्थित थे. इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट कर कहा है कि पीएम मोदी ने देश की पहली किसान रेल के लिये अपना अमूल्य मार्गदर्शन और सुझाव दिये. उनकी इस प्रेरणा से रेलवे ने देश के किसानों के हित में अपने दायित्वों को निभाकर उन्हें पूर्ण करना सुनिश्चित किया. मैं इसके लिये उनका आभारी हूं.
निश्चित तौर पर किसान रेल एक बेहतरीन कदम है. क्योंकि देश में बड़े पैमाने पर फल और सब्जी सब्जियां बर्बाद हो जाती हैं. किसानों उसे बाजार तक नहीं पहुंचा पाते हैं. ऐसे में किसान रेल मददगार साबित होगी. किसानों को उनकी फसलों का वाजिब और लाभकारी दाम मिलेगा. मध्य रेल की किसान स्पेशल पार्सल ट्रेन वापसी में 9 से 30 अगस्त तक प्रत्येक रविवार को 12 बजे दानापुर से रवाना होगी और अगले दिन 19.45 बजे देवलाली पहुंचेगी. नासिक और आसपास के इलाकों में काफी मात्रा में ताजे फल, सब्जियां, फूल, प्याज और अन्य कृषि उत्पादों का उत्पादन होता है, जिसकी दूसरे राज्यों में काफी मांग है. इन उत्पादों को पटना, प्रयागराज, कटनी और सतना जैसे इलाकों में भेजा जाएगा. किसान रेल में रेफ्रिजरेटेड कोच लगे होंगे. इसे रेलवे ने 17 टन की क्षमता के साथ नए डिजायन के रूप में निर्मित करवाया है. इस ट्रेन में कंटेनर फ्रीज की तरह होंगे. मतलब यह एक चलता-फिरता कोल्ड स्टोरेज होगा, इसमें किसान खराब होने वाले सब्जी, फल, फिश, मीट, मिल्क रख सकेंगे. शुरुआत में यह ट्रेन साप्ताहिक चलेगी.
इस परियोजना की जरूरत इसलिए पड़ी, क्योंकि भारत में सामान की ढुलाई की व्यवस्था में कई खामियों की वजह से फल, सब्जियां जैसी कई और चीजें खराब हो जाती हैं. हालांकि, कई राज्यों में स्थानीय तौर पर दूध की सप्लाई के लिए ट्रेनों का इस्तेमाल पहले से ही किया जाता रहा है. सब्जियों को दूसरे राज्यों में भेजने के लिए आज भी सड़कों पर ही निर्भरता बनी हुई है. सड़क से जाने वाले ट्रक कई बार शहरों के ट्रैफिक जाम तो कभी चुंगी चौकियों पर फंस जाते हैं. इसके अलावा भी उनके साथ कई तरह की दूसरी परेशानियां जुड़ी होती हैं. ऐसे में कई बार सामान देर से मंडियों में पहुंचने की वजह से खराब हो जाता है. सरकारी अनुमान के मुताबिक, इस तरह भेजा जाने वाला 20 फीसद सामान रास्ते में ही खराब हो जाता है. ऐसे में बर्फ वाले ट्रेन के डिब्बों में इन उत्पादों की ढुलाई एक बेहतर विकल्प है. यदि ये पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा तो इसका असर माल ढुलाई के अलावा सामान की कीमत पर भी पड़ेगा.
इस ट्रेन से जाने वाले पार्सल की बुकिंग स्टेशन पर ही की जा सकेगी. इसमें शुरुआत में 10 डिब्बे लगाए गए हैं बाद में पायलट प्रोजेक्ट से मिली सफलता के आधार पर इसके डिब्बों की संख्या में इजाफा किया जाएगा. इस ट्रेन का भविष्य भी पायलट प्रोजेक्ट पर टिका हुआ है. यदि ये सफल हुआ तो दूसरे मार्गों पर भी ऐसी और ट्रेनें चलाई जा सकेंगी.