खोदावंदपुर/बेगूसराय. कृषि विज्ञान केन्द्र खोदावंदपुर में सोमवार को पोषण वाटिका प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. प्रशिक्षण हर घर पोषण केे लिए सितंबर माह को एक त्योहार के रुप में मनाने के लिए आंगनबाड़ी सेविकाओं को एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया. जिसमें 30 आंगनबाड़ी सेविकाओं ने भाग लिया.
वैज्ञानिकों के द्वारा प्रशिक्षण कार्यशाला में सेविकाओं को पोषण वाटिका लगाने से संबंधित विस्तृत जानकारी दी गयी. इस मौके पर कृषि विज्ञान केंद्र खोदावंदपुर के वरीय वैज्ञानिक सह प्रधान डॉ सुनीता कुशवाहा ने सेविकाओं को बताया कि वर्तमान समय में लोगों को अपने घर के इर्द-गिर्द लगाई गयी पोषण वाटिका से उत्पादित सब्जियों का प्रयोग करना चाहिए.जिसमें खासकर गर्भवती और धात्री महिलाओं को इसे विशेष रूप से खाना चाहिए, ताकि उनका पोषण स्तर सही रह सकें. उन्होंने सेविकाओं को बताया कि वह अपने आस-पास की जमीन पर पोषण वाटिका का निर्माण कर सकती है.
घर के इर्द-गिर्द पोषण वाटिका लगाने से कई फायदे हैं. घर के नजदीक रहने की वजह से पोषण वाटिका की देखरेख, सही समय पर उर्वरक का उपयोग और कीट पतंगों से रखवाली करने में आसानी होती है.साथ ही ससमय और ताजी सब्जी हमें उपलब्ध होती रहती है. पोषण वाटिका में जैविक या वर्मी कम्पोष्ट खाद्य के अलावे निम्न आधारित कीटनाशक का ही प्रयोग करने का सलाह सेविकाओं को दी.
प्रशिक्षण उपरान्त डॉ कुशवाहा ने सेविकाओं को पालक, मूली, मेथी, धनियां, गाजर आदि सब्जियों के बीज उपलब्ध करवायी गयी.साथ ही इस बीज को अपने पोषण वाटिका में लगाने की सलाह भी दी गयी. कार्यक्रम के उद्देश्य के बावत पुछे जाने पर उन्होंने बताया कि इसका मूल उद्देश्य है कि लोगों के पोषण स्तर सुधारना, इसको लेकर लोगों के बीच जागरूकता हो और लोग पूर्व जमाने की भांति अपने घर के पास-पड़ोस में ही सब्जी उगाकर उसका सेवन कर निरोगी बने. हर एक लोगों को प्रतिदिन कम से कम 300 ग्राम सब्जी का सेवन करना जरूरी होता है.सेविकाओं को प्रशिक्षण देने का उद्देश्य है कि इनका संबंध हर घर से होता है. इनके द्वारा पोषण वाटिका लगाये जाने से पोषण के प्रति समाज मे एक क्रांति आयेगी.
वहीं इंजीनियर विनीता कश्यप ने पोषण वाटिका में प्रयुक्त होने वाले यंत्र खुरपी, हसुआ, कुदाल, स्प्रे मशीन, पानी का छोटा मोटर, पानी की पाइप आदि के उपयोग करने का तौर तरीका बताया.
अभिषेक सिन्हा की रिपोर्ट