खानापूर्ति कर बंदरबांट होती है इस मद की राशि, केवल कागजों पर चलाया जा रहा सामुदायिक किचन

मधुबनी जिले में सामुदायिक किचेन के नाम पर सिर्फ कोरम पूरा करने का काम किया जा रहा है।

ताजा मामला जिले के मधुबनी प्रखंड परिसर का है, जहां ई-किसान भवन में एक टेबल पर मात्र तीन कुर्सियां लगाई गई हैं, जिसे सामुदायिक किचेन का नाम दिया गया है। लेकिन वहां ना कहीं खाना बनने की व्यवस्था है। ना कोई खिलाने वाला दिखाई पड़ता है। ना ही किसी कर्मी का कोई अता पता है। सामुदायिक किचेन का टेबल पूरी तरह से खाली है। एक तरफ जहां समुदायिक किचेन में क्षेत्र के गरीब लोगों के खाने की व्यवस्था करनी है। वैसे लोग जो मजदूर तबके के हैं एवं जिन्हें काम नहीं मिल रहा। उन्हें सरकार द्वारा मुक्त देने की व्यवस्था की गई है। लेकिन मधुबनी प्रखंड में अंचल कार्यालय द्वारा लगाए गए सामुदायिक किचेन के बारे में अब तक जानकारी किसी व्यक्ति को नहीं है, जिससे आम लोगों को इसका लाभ मिल सके। सरकार के द्वारा सामुदायिक किचेन खोलने का आदेश लगभग 1 सप्ताह पूर्व आया था, लेकिन आदेश के बावजूद भी मधुबनी प्रखंड में सामुदायिक किचेन की व्यवस्था नहीं की गई थी। एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी सामुदायिक किचन का कोरम पूरा किया जा रहा है, जिस किचेन में खाना बनाने वाले खिलाने वाले एवं इसकी व्यवस्था करने वाले आदमी का अता पता नहीं है। वहां गरीब तबके के लोग खाने के लिए कैसे आएंगे? यह सोचने वाली बात है। अगर देखा जाए तो लॉकडाउन में एक बार फिर सामुदायिक किचेन के नाम पर लूट-खसोट की व्यवस्था शुरू हो गई है।

इस बारे में पूछने पर अंचलाधिकारी मधुबनी ने बताया कि प्रखंड कार्यालय में सामुदायिक किचेन की व्यवस्था की गई है। यहां गरीब एवं अन्य लोगों को खिलाने की पूरी व्यवस्था है, खाने वाले लोगों को किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होगी।

पर ग्राउंड जीरो पर हकीकत कुछ और ही दिखाई दे रही है।

मधुबनी से संतोष कुमार शर्मा की रिर्पोट

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