29 अगस्त को प्रदेश अध्यक्ष बिहार अभिजीत सिन्हा ने वर्चुवल बैठक आयोजित किया। इस बैठक में कायस्थ समाज के अंतर्राष्ट्रीय संघटन कायस्थ वाहिनी द्वारा सप्तऋषि के आयोजन की तिथि बढ़ाने का निर्णय लिया गया। सप्तॠषि जिसमें “सात राष्ट्रीय – अंतर्राष्ट्रीय कायस्थों को उपाधि से सम्मानित किया जाता है”, जिनका चिकित्सा, समाजसेवा, साहित्य, शिक्षा, व्यवसाय, राजनैतिक, कला आदि क्षेत्र में विशिष्ट योगदान रहा हो। इसके संस्थापक पंकज भैया कायस्थ वाहिनी प्रमुख है।
अभिजीत सिन्हा प्रदेश अध्यक्ष बिहार ने विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि भगवान चित्रगुप्त जी की प्रत्येक महीने महा आरती, पूजा तथा अन्य सामाजिक गतिविधियां वर्ष भर संगठन के द्वारा चलती रहती हैं। सप्तऋषि जो 2017 गाजियाबाद से प्रारम्भ हुई है तथा 2018 दिल्ली, 2019 लखनऊ, 2020 पटना में प्रस्तावित हैं। सप्तऋषि उपाधि के साथ पटका, पत्रिका,भगवान श्री चित्रगुप्त जी की प्रतिमा विशेष रूप से प्रदान की जाती है।
संस्था विश्व भर के कई दर्जन देशों में तथा भारत के कई राज्यों के साथ साथ बिहार के 24 जिलों मे सक्रिय हैं । वाहिनी भगवान श्री चित्रगुप्त जी जो कि केतु ग्रह के अधिपति देवता हैं अतः वे सिर्फ कायस्थों के नही बल्कि सर्वसमाज के भगवान है , के सिद्धांत को प्रतिपादित करती है। अभी तक सप्तऋषि उपाधि मुख्यरूप से प्रवीण जी श्रीवास्तव (नाइजीरिया) राजेश जी श्रीवास्तव (लंदन) अजित जी श्रीवास्तव (नेपाल) सारांश जी श्रीवास्तव (मलेशिया) सुनील जी श्रीवास्तव (दुबई ) दीपक जी श्रीवास्तव (नेपाल) सहित भारत के डॉ अतुल वर्मा , डॉ ए के श्रीवास्तव, आकांछा सक्सेना , सुरेन्द्र जी कुलश्रेष्ठ सहित कई लोगो को प्रदान कर चुकी है।
सप्तॠषि 20 का आयोजन बिहार में प्रस्तावित था जो 6 जून को बिहार के एतिहासिक शहर पटना में आयोजित किया जाना था । करोना महामारी से उत्पन्न स्थिति को देखते हुए इस आयोजन को 6 जून से बढ़ा कर 6 सितंबर किया गया था।
विदित हो कायस्थ वाहिनी सप्तॠषि का आयोजन प्रत्येक वर्ष जून महीने के पहले रविवार को आयोजित करती आ रही है। पर अभी भी पुरा समाज करोना से जूझ रहा है और सरकार ने हर प्रकार के सामाजिक आयोजनों पर रोक लगा रखी है। ऐसी परिस्थिति में एक बार पुनः सप्तॠषि के आयोजन की तिथि बढ़ाकर 6 दिसंबर की जाती है।