बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ पटना के राज्य अध्यक्ष और बिहार विधान परिषद के सदस्य केदारनाथ पांडेय का निधन हो गया। दिल्ली के मेदांता अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। कुछ दिनों पहले उन्हें हार्ट अटैक आया था। जिसके बाद से दिल्ली के मेदांता में इलाजरत थे। वहीं रविवार की रात करीब डेढ़ बजे उन्हें दोबारा हार्ट अटैक आया। जिसके बाद उन्हें बचाया नहीं जा सका। दीपावली की सुबह केदारनाथ पांडेय के निधन की सूचना मिलने से माध्यमिक शिक्षक संघ में शोक की लहर दौड़ पड़ी। वे सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से एमएलसी थे।
महाविद्यालय सीवान में उन्होंने शिक्षा शास्त्रा के अंशकालिक प्राध्यापक के रूप में भी अपनी सेवाएं दी। सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में सक्रियता थी।
केदारनाथ पांडेय हिन्दी साहित्य सम्मेलन सीवान के सचिव, भोजपुरी साहित्य सम्मेलन सीवान के सचिव और बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव पद पर लंबे समय तक रहे। इसके अलावा वे भारत-सोवियत मैत्री संघ और भारत-जर्मन मैत्री संघ के भी सदस्य रहे। भारतीय जननाट्य संघ के उपाध्यक्ष और बिहार प्रगतिशील लेखक संघ के भी पदाधिकारी रहे। जबकि बिहार विधान परिषद के 7 मई 2002 से अद्यावधि सदस्य और परिषद की निवेदन समिति के अध्यक्ष रहे। कई पुस्तकों का लेखन और संपादन किया।
केदारनाथ पांडेय की प्रकाशित कृतियों में हिन्दी नाटक पृथ्वी राज चौहान, कैकेयी, गुरु दक्षिणा, वीर शिवाजी, भोजपुरी नाटक ‘शुरुआत’ शामिल है। अन्य पुस्तकों में ‘मैल धुल जाने के गीत’, शिक्षा के सामाजिक सरोकार, शिक्षा को आंदोलन बनाना होगा, ‘यादों के पन्ने’, बीते दौर के भी गीत गाये जायेंगे, महाकाल की भस्म आरती और गांव से शहर जाती सड़क शामिल है।
उन्होंने भोजपुरी पत्रिका ‘माटी के गमक’ का भी संपादान किया। इसके अलावा अनेक लेख और कहानियां विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई।