माननीय चीफ जस्टिस आफ इंडिया जस्टिस रंजन गोगोई ने इस मामले में मानवाधिकार कार्यकर्ता विशाल रंजन दफ्तुआर द्वारा आज भेजे गये पत्र को स्वीकार करते हुये इसे पीआईएल (जनहित याचिका) सेक्शन को भेजा।Diary No 39012/SCI/PIL(E)2019
गौरतलब है कि 2016 में एनजीटी द्वारा बिहार में बालू उत्खनन पर लगाई गई रोक के खिलाफ इनके पत्र को तत्कालीन चीफ जस्टिस आफ इंडिया जस्टिस टीएस ठाकुर ने जनहित याचिका में बदल दिया था।
उन्होंने सीजेआई को लिखा कि “माननीय जस्टिस रंजन गोगोई जी, मुख्य न्यायाधीश,सुप्रीम कोर्ट,नई दिल्ली माननीय चीफ जस्टिस महोदय, आपको सूचित करना चाहता हूँ कि उपर्युक्त उल्लिखित मार्मिक मामले मेंं बिहार सरकार का सिस्टम पिछले 11 सालों से “कुम्भकर्ण ” की तरह सोया हुआ है??कृपया जगाईये उसे!!!
???बड़ा सवाल:- क्या एक गरीब की कोई इज्ज़त नहीं?उसका कोई हक नहीं ?कोई मानवाधिकार नहींं?
-बांग्लादेश के जेल में पिछले 11 साल से कैद बिहार के दरंभगा जिला के एक गरीब परिवार का मानसिक रूप से बीमार बेटा सतीश चौधरी आखिर कब घर आयेगा ??
चूंकि मामला एक गरीब का है इसलिये यह हाई प्रोफाईल नहीं बन सका।और हर जगह इसकी उपेक्षा की गई जो सरकार और संस्थाओं की कार्यशैली पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा करता है?
बिहार के दरभंगा के एक गरीब परिवार का दिमागी रूप से कमजोर बेटा सतीश चौधरी बांग्लादेश के जेल में पिछले 11 साल से बंद है।इस गम में उसके पिता गुजर गये।उसकी माँ,बीबी,दो छोटे बच्चे और भाई बेहद दुखी हैं और उसकी घरवापसी हेतु टकटकी लगाये हैं।पिछले 11 सालों में उसका छोटा भाई मुकेश चौधरी बिहार के मुख्यमंत्री के जनता दरबार समेत कई मंचों पर अपने भाई की घरवापसी हेतु फरियाद लगा चुका है,लेकिन मामला चूंकि एक ‘गरीब” का है तो परिणाम ढाक के तीन पात वाले ही रहे?
थक हारकर उसने 31 जुलाई को मुझे (यानी मानवाधिकार कार्यकर्ता विशाल रंजन दफ्तुआर को) पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया।
इसी कारण उसका पत्र और मैटर को आपके पास त्वरित कारवाई हेतु प्रेषित कर रहा हूँ।
इस मामले में हाई कमीशन आफ इंडिया, बांग्लादेश के एटैचे काउंसलर ने व्हाट्सएप (+880-1-944-499799)के माध्यम से मुझे बताया कि इस वक्त गलत प्रवेश के मामले में वो बांग्लादेश के चाऊडांगा जेल(Chaudanga Jail)में कैद है।एटैचे काउंसलर,हाई कमीशन आफ इंडिया, ढाका,बांग्लादेश ने मुझसे 31 जुलाई,2019 को दरभंगा के डीएम का संपर्क नंबर मांगा ताकि उनके पास इसकी(सतीश चौधरी) भारतीय नागरिक होने का वेरिफिकेशन करवाने हेतु पत्र भेजा जा सके।
मैंने मांगी गई डिटेल्स को तुरंत उपलब्ध करवाते हुये दरभंगा के डीएम से भी त्वरित सहयोग करने हेतु उसी दिन बातचीत की।
चूंकि मेरे पास संवैधानिक सत्ता और ताकत नहीं है।इसलिये आपसे सहयोग और त्वरित कारवाई हेतु विनम्र निवेदन कर रहा हूँ।
मेरी कोशिश यही है कि सतीश चौधरी शीघ्र बांग्लादेश के जेल से आजाद होकर अपने घर आ जाये।15 अगस्त तक अगर उसकी घरवापसी हो जाये तो यह बड़ा यादगार रहेगा भारत की आजादी के दिन भारत के बेटा का कैदमुक्त होना!
आपको बताना चाहता हूँ कि गलत प्रवेश के लिये निर्धारित सजा से ज्यादा की कैद वो काट चुका है।
मैंने इस मामले में पत्र लिख कर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से मानवता के आधार पर इस बंदी को तत्काल रिहा करने की अपील की है।
चूंकि मामला एक गरीब का है इसलिये यह हाई प्रोफाईल नहीं बन सका।और हर जगह इसकी उपेक्षा की गई जो सरकार और संस्थाओं की कार्यशैली पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा करता है?
आशा है आप इस पर त्वरित कारवाई करेंगे।
आपके सकारात्मक,त्वरित सहयोग एव जवाब की प्रतीक्षा रहेगी।”
विशाल रंजन ने बताया कि पत्र के बाद सीजेआई ने इसे पीआईएल सेक्शन को भेज दिया है।