पूर्व केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के नेता मनोज सिन्हा अब जम्मू और कश्मीर के नए उपराज्यपाल होंगे. बुधवार शाम को गिरीश चंद्र मुर्मू ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. आपको बता दें कि 5 अगस्त को ही जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटे एक साल पूरा हुआ है. जीसी मुर्मू की गिनती भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खास अधिकारियों में होती रही है. माना जा रहा है कि मनोज सिन्हा को नियुक्त कर केंद्र संदेश देना चाहता है कि वो साल भर से ‘बंद पड़े’ जम्मू-कश्मीर में अपनी राजनीतिक हलचल शुरू करना चाहता है. मनोज सिन्हा भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता हैं. पूर्वी उत्तर प्रदेश में भाजपा के बड़े चेहरे हैं. हालांकि, 2019 का लोकसभा चुनाव वो हार गये थे. यही वजह है कि इस बार उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली थी.
मनोज सिन्हा
मनोज सिन्हा का जन्म एक जुलाई, 1959 को पूर्वी उत्तर प्रदेश में गाजीपुर जिले के मोहनपुर में हुआ था. वह पूर्वी उत्तर प्रदेश के पिछड़े गांवों के विकास के लिए सक्रिय रूप से काम करते रहे हैं. काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्र संघ का अध्यक्ष बनने के साथ ही 1982 से उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत हुई. मनोज सिन्हा 1996 में पहली बार लोकसभा के लिए चुने गये और उन्होंने 1999 में दोबारा जीत हासिल की. 1989 से 1996 तक भाजपा की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य रहे. साल 2014 में लोकसभा चुनाव में भाजपा के सत्ता में आने पर तीसरी बार निचले सदन के लिए चुने गये. वह रेल राज्य मंत्री रहे और बाद में उन्हें संचार मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार भी सौंपा गया था.
उत्तर प्रदेश के 2017 के विधानसभा चुनाव में जब भारतीय जनता पार्टी को ऐतिहासिक जीत मिली थी, तब मनोज सिन्हा ही मुख्यमंत्री पद की रेस में सबसे आगे थे. लेकिन पार्टी की ओर से योगी आदित्यनाथ को आगे किया गया. मनोज सिन्हा की गिनती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसेमंद नेताओं में होती है. ऐसे में अब एक बार फिर केंद्र सरकार की ओर से मनोज सिन्हा को बड़ी जिम्मेदारी दी गई है.