बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने महा गठबंधन के सहयोगी दलों को 30 दिसंबर तक का अल्टीमेटम दे रखा है कि कॉर्डिनेशन कमिटी का गठन हो और उसी के आधार पर महागठबंधन आगे की रणनीति तय करें उनकी मांगों को नहीं माना जाता तो अपना निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है. 29 दिसंबर को किशनगंज में ओवैसी की सभा में भी वे शामिल होंगे.बातचीत में उन्होंने बताया कि वे महागठबंधन में ही बने रहेंगे और वह समन्वय समिति के गठन की मांग पर पूरी तरह से अडिग है. महागठबंधन की तरफ से बिहार विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा यह अभी पूरी तरह से फाइनल नहीं है. माझी कहते हैं कि बिहार में गरीबी पलायन शिक्षा स्वास्थ और शराबबंदी के साइड इफेक्ट को महागठबंधन मुद्दा बनाएगी सभी मोर्चे पर केंद्र सरकार और बिहार सरकार पूरी तरह फेल है. नागरिकता संशोधन कानून से मूल निवासियों खासकर मुसलमानों के साथ ही साथ आदिवासियों ,दलितों अति पिछड़ों का भी मानसिक शोषण किया जा रहा है. वे कहते हैं कि जब उनसे भी उनके कई पीढ़ियों का हिसाब माना मांगा जाएगा तो मैं नहीं दे सकता तो क्या इसका मतलब है कि वह इस देश के नागरिक नहीं है. शराबबंदी के सवाल पर उन्होंने कहा कि 2005 में नीतीश सरकार गांव गांव में दारु का ठेका देकर शराब की दुकानें खुलवा रही थी फिर ऐसा क्या हुआ कि अपनी छवि सुधारने के लिए नीतीश कुमार ने पूरी तरह बिहार में शराबबंदी को लागू कर दिया वे खुली चुनौती देते हैं कि रात के 11:00 बजे के बाद मंत्री विधायकों प्रशासनिक अधिकारियों का जांच किया जाएगा उसमें से पचास फिसदी लोग शराब का सेवन करने वाले निकलेंगे .उन्होंने कहा कि एक लाख से ज्यादा ऐसे गरीब लोग शराबबंदी केस में जेलों में बंद है जिनका जमानत करवाने वाला भी कोई नहीं उन्होंने कहा कि जनता ने आपको विकास के लिए जनाधार दिया है ना कि जनता के ऊपर ही कई तरह के सारे नियम कायदे लागू करने के लिए. उन्होंने कहा कि विकास से कभी समझौता नहीं किया जा सकता आज भी गांव में निवास करने वाले दलित पिछड़े उसी हालात में है सिर्फ कागजी आंकड़ों में ही उनका विकास हुआ है गरीब और भी गरीब होता चला जा रहा है व अमीर और भी ज्यादा अमीर. उन्होंने कहा कि महागठबंधन में शामिल सभी दलों के नेताओं की नियत साफ है पर समन्वय का अभाव है जिसका असर हाल ही में महागठबंधन के सबसे बड़े दल राजद के द्वारा बुलाए गए बिहार बंद के द्वारा दौरान देखने को मिला जब कुछ असामाजिक तत्वों ने छवि धूमिल करने वाले कार्य किए इसी कारण उन्होंने 30 दिसंबर तक की समय सीमा समन्वय समिति निर्माण के लिए रखी है समन्वय समिति के निर्माण के बाद से सुधार कार्यक्रमों पर ही महागठबंधन कार्य करेगा.
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