रांची,07 अगस्त 2023 :
मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन से आज केंद्रीय सरना समिति के प्रतिनिधि मंडल ने मुलाकात की। उन्होंने मुख्यमंत्री को 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए आमंत्रित किया। प्रतिनिधि मंडल ने राज्य सरकार द्वारा वृहत पैमाने पर पूरी भव्यता के साथ झारखंड आदिवासी महोत्सव-2023 का आयोजन करने के लिए मुख्यमंत्री का आभार जताया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड आदिवासी महोत्सव- 2023 को एक अलग पहचान मिलेगी। इस बार इस महोत्सव का देश भर में प्रचार- प्रसार किया जा रहा है और खुशी की बात है कि देश- दुनिया से इस महोत्सव में शामिल होने के लिए लोग आ रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी परंपरा, कला- संस्कृति, रहन- सहन, आदिवासी उत्पाद और गीत-संगीत -नृत्य को संरक्षित और आगे बढ़ाने की दिशा में सरकार लगातार प्रयास कर रही है। इस कड़ी में झारखंड आदिवासी महोत्सव का आयोजन मील का पत्थर साबित होगा।
इस अवसर पर केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष श्री अजय तिर्की, श्री प्रकाश हंस, श्री मुन्ना उरांव, श्री अजीत उरांव, श्री निकोलस एक्का, श्री साइमन कच्छप, श्री सोनू एक्का, श्री अनीश अहमद, श्री विजय बड़ाईक, श्री जरिया उरांव, श्री बबलू उरांव, श्री धंजू नायक, श्री सचिन कच्छप, श्री मन्नू तिग्गा, श्री विजय कच्छप, श्री लाला कच्छप, श्री सूरज मुंडा, श्री मोनू राज, श्री बिरलू तिर्की, श्री करमा कमल लिंडा, श्री शनि मिंज, श्री पुरन टोप्पो, श्री दिनेश कच्छप और श्री संजू कच्छप शामिल थे।
झारखण्ड आदिवासी महोत्सव -2023 में “रीझ रंग रसिका” रैली मुख्य आकर्षण का केंद्र होगा। 09 अगस्त को 12 बजे अपराह्न रैली धुमकुड़िया भवन, करमटोली चौक से जेल रोड स्थित बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान के लिए प्रस्थान करेगी। रैली में झारखण्ड के 32 विभिन्न जनजातिय वाद्ययंत्रों के संगम होगा। रैली में असुर, बैंगा, बंजारा, बथुडी, बेदिया, बिंझिया, बिरहोर, बिरजिया, चेरो, चिक-बड़ाईक, गोंड, गोडाईल, हो, करमाली, खड़िया, कंवर, खरवार, खोंड, किसान, कोरा, कोरवा, लोहरा, महली, माल पहाड़िया, मुंडा, उरांव, परहईया, संथाल, सौरिया पहाड़िया, सवर,भूमिज एवं कोल जनजाति के कलाकार अपने वाद्ययंत्रों के साथ नजर आएंगे l
मालूम हो कि 09 एवं 10 अगस्त को आयोजित झारखण्ड आदिवासी महोत्सव 2023 की तैयारी अंतिम चरण में है। महोत्सव में अरुणाचल प्रदेश, असम, आंध्र प्रदेश, ओडिसा, राजस्थान के जनजातीय समुदाय के मेहमान अपनी परंपरा और संस्कृति से रूबरू कराएंगे।
सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत नागपुरी, सरायकेला छऊ, डोमकच, पायका समेत अन्य नृत्य की प्रस्तुति कलाकारों द्वारा की जायगी।