कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को केंद्र सरकार पर राज्यों के बकाया जीएसटी और नीट-जेईई परीक्षा के आयोजन को लेकर गैर भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की एक बैठक बुलाई। इसमें शामिल सात राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने प्रदेशों के अधिकारों के लिए केंद्र सरकार के खिलाफ एकजुट होने पर जोर दिया। इस बैठक में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश सिंह बघेल, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, पुडुचेरी के मुख्यमंत्री नारायणसामी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हिस्सा लिया। राज्यों ने कहा कि कोरोना संकट के कारण राज्यों की आर्थिक स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार को जीएसटी के मुआवजे का पूरा भुगतान करना चाहिए।
जीएसटी समेत अन्य मुद्दों पर गैर भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बुलाई गई बैठक में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने केंद्र पर जमकर निशाना साधा। उद्धव ठाकरे ने बैठक में कहा कि हमें फैसला करना चाहिए कि हमें केंद्र सरकार से डरना है या लड़ना है। ठाकरे ने कहा कि गैर भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को जोरदार तरीके से अपनी आवाज उठानी चाहिए क्योंकि केंद्र सरकार हमारी आवाज को दबाने का प्रयास कर रही है।
बैठक में मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश को लिए होने वाली नीट और जेईई की परीक्षाओं को आयोजित किए जाने के फैसले का विरोध किया गया और ये परीक्षाएं स्थगित करने की मांग की गई।
बैठक में मौजूद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने परीक्षाएं स्थगित करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही। उन्कहोंने कहा , ‘सुप्रीम कोर्ट चलते हैं. इस मुद्दे पर बात करते हैं। यह छात्रों के लिए मानसिक प्रताड़ना है। मैंने किसी लोकतांत्रिक देश में इतनी उद्दंडता नहीं देखी है। स्थिति बहुत गंभीर है। हमें बच्चों के लिए आवाज उठानी ही होगी। ‘ हम साथ में सर्वोच्च न्यायालय जाते हैं और परीक्षा को तब तक के लिए स्थगित करवा देते हैं जब तक कि स्थिति छात्रों के परीक्षा में बैठने लायक नहीं हो जाती।’ इससे पहले, ममता बनर्जी ने कोरोना महामारी के मद्देनजर केंद्र से परीक्षाओं को टालने का आग्रह किया था।
वहीं, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने परीक्षा आयोजित करने से बच्चों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने के खतरे का मुद्दा उठाया।उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘अमेरिका से एक रिपोर्ट आई थी कि जब वहां स्कूल खोले गए थे तो लगभग 97,000 बच्चे कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे। अगर ऐसी स्थिति यहां बन गई तब हम क्या करेंगे?’ ठाकरे ने कहा, ‘हमें यह तय करना चाहिए कि हमें डरना है या लड़ना है।’
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बनर्जी का समर्थन किया तो हेमंत सोरेन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट जाने से पहले हमें प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति के पास जाना चाहिए। सोरेन ने कहा कि सत्ताधारी पार्टी एजेंसियों का विपक्ष का खिलाफ इस्तेमाल कर रही है और संघीय ढांचे को अनदेखा कर रही है।नारायणसामी ने कहा, परीक्षाओं का आयोजन करने से देश में कोविड-19 मीमलों की संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है। अगर ऐसा होता है तो भारत सरकार इसके लिए जिम्मेदार होगी। हम इस मुद्दे पर केंद्र सरकार के खिलाफ यह लड़ाई मिलकर लड़ेंगे।
बैठक में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा, ‘नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से संबंधित घोषणाएं वास्तव में हमें चिंतित कर सकती हैं क्योंकि यह हमारे लिए एक झटका है। छात्रों और परीक्षाओं से संबंधित अन्य समस्याओं का भी ठीक तरह से निपटारा नहीं किया जा रहा है।’